क्रिया (Verb)

क्रिया किसे कहते हैं (Kriya kise kehete hai in Hindi) यह जानना सभी के लिए आवश्यक है। क्रिया की परिभाषा के अनुसार वह शब्द है जो किसी काम को करने या करवाने के लिए प्रयोग होता है। क्रिया (Kriya kise kehete hai in Hindi) हिंदी व्याकरण में धातु के नाम से भी जाना जाता है।

क्रिया किसे कहते हैं? | Kriya kise kehete hai – What is Verb in Hindi

  • क्रिया (Kriya kise kehete hai in Hindi) व्याकरण में एक महत्वपूर्ण अवयव है जो किसी कार्य या क्रिया को व्यक्त करता है।
  • यह क्रियाओं को बयान करने, कार्य को संदर्भित करने और समय को व्यक्त करने के लिए उपयोगी होता है। क्रिया वाक्य में मुख्यतः कार्य को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती है।
  • क्रिया की पहचान करना आवश्यक है ताकि हम सही वाक्य संरचना बना सकें और अपने विचारों को सही तरीके से व्यक्त कर सकें।
  • क्रिया व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है और हमें उसका अध्ययन करके भाषा का गहराई समझनी चाहिए। 

क्रिया की परिभाषा | Definition of Kriya in Hindi

क्रिया एक भाषात्मक इकाई है जो किसी कार्य का वर्णन करती है। यह शब्द, भाषा की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वाक्यों में कार्य, स्थिति या गुण को प्रकट करने का कार्य करता है। क्रिया वाक्य की आधारभूत इकाई होती है जो भाषा को जीवंत बनाती है।

क्रिया के उदाहरण | Examples of Kriya in Hindi

गाते हैं, चलते हैं, बोलते हैं, लिखते हैं, पढ़ते हैं, खेलते हैं, सोते हैं, बनाते हैं, उठते हैं, हंसते हैं, बात करते हैं, सुनते हैं, घूमते हैं, कूदते हैं, रोते हैं। इन उदाहरणों से क्रिया की विविधता और महत्व स्पष्ट होता है।

क्रिया शब्द के उदाहरण | Kriya shabd ke udaharan

  • जाओ, पढ़ो, लिखो, गाओ, बोलो, सोओ, उठो, दौड़ो, हंसो, करो, सुनो, चलो, पकड़ो, रोको, देखो, चिढ़ाओ।
  • ये सभी उदाहरण क्रिया शब्द हैं जो किसी कार्य को व्यक्त करते हैं और भाषा में प्रयोग होते हैं।

क्रिया के भेद | Kriya ke bhed Hindi mein

क्रिया के भेद (Kriya ke bhed Hindi mein) मुख्यतः दो भागों में विभाजित होती है – सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया।

  • सकर्मक क्रिया (Sakarmak kriya kya hoti hai) उस क्रिया को कहते हैं जिसमें कर्म या वस्तु का प्रयोजन होता है, जिससे क्रियाकर्ता परिणामस्वरूप प्रभाव डालता है। उदाहरण के रूप में, “रामने पेंसिल लिखी” में ‘लिखी’ सकर्मक क्रिया है, जहां क्रियाकर्ता द्वारा पेंसिल लिखने का प्रयास किया जाता है।
  • अकर्मक क्रिया (akarmak kriya ki paribhasha) वह क्रिया है जिसमें कोई कर्म या वस्तु का प्रयोजन नहीं होता है, और क्रियाकर्ता परिणामस्वरूप प्रभाव नहीं डालता है। उदाहरण के रूप में, “राम बैठा” में ‘बैठा’ अकर्मक क्रिया है, जहां क्रियाकर्ता द्वारा सिर्फ बैठने का कार्य किया जाता है और कोई प्रभाव नहीं होता है।

इस तरह, सकर्मक और अकर्मक क्रियाएं क्रिया के महत्वपूर्ण भेद हैं, जो भाषा में क्रिया के अन्वेषण को विस्तृत करते हैं।

सकर्मक क्रिया | Sakarmak Kriya in Hindi

  • सकर्मक क्रिया (Sakarmak kriya kya hoti hai) उस क्रिया को कहते हैं जिसमें कोई कर्म या वस्तु का प्रयोजन होता है।
  • इसमें क्रियाकर्ता का प्रयास होता है और प्रभाव डाला जाता है।
  • उदाहरण के रूप में, “मैं खाना खा रहा हूँ” में ‘खा रहा हूँ’ सकर्मक क्रिया है, जहां क्रियाकर्ता द्वारा खाने का कार्य किया जा रहा है।

अकर्मक क्रिया | Akarmak Kriya in Hindi

  • अकर्मक क्रिया (akarmak kriya ki paribhasha) वह क्रिया है जिसमें कोई कर्म या वस्तु का प्रयोजन नहीं होता है।
  • अकर्मक क्रिया (akarmak kriya ki paribhasha) क्रियाकर्ता के प्रभाव को नहीं डालती है।
  • उदाहरण के रूप में, “मैं सो रहा हूँ” में ‘सो रहा हूँ’ अकर्मक क्रिया है, जहां क्रियाकर्ता द्वारा सोने का कार्य किया जा रहा है और कोई प्रभाव नहीं होता है।

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद | Types of Kriya based on Work in Hindi

कर्म के आधार पर क्रिया के भेदों में दो प्रमुख विभाजन होता है – सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया। सकर्मक क्रिया में क्रियाकर्ता द्वारा कर्म का प्रयोजन होता है, जबकि अकर्मक क्रिया में कोई कर्म का प्रयोजन नहीं होता है। कर्म के आधार पर क्रिया के भेद का अध्ययन हमें क्रियाओं की प्रकृति और महत्व को समझने में मदद करता है।

संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद | Types of Kriya based on Use in Hindi

  • संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद हमें क्रियाओं की व्यवस्था और उनके प्रयोग के तरीकों को समझने में मदद करता है।
  • इस भेद के अनुसार, क्रिया संरचित क्रिया और असंरचित क्रिया में विभाजित होती है।
  • संरचित क्रिया में क्रियाकर्ता की संख्या, वचन, लिंग आदि के अनुसार विभाजित होती है, जबकि असंरचित क्रिया में ऐसी परिमाण या विभाजन नहीं होता है।

क्रिया अनुबंध के नियम | Rules of Kriya in Hindi

  • क्रिया अनुबंध के नियम संज्ञा के अनुबंध की आवश्यकता को पूरा करने के लिए क्रिया को बदलने वाले नियम हैं।
  • इन नियमों के अनुसार, क्रिया के रूप में प्रतिस्थापन, परिवर्तन, विशेषण, अवगमन, संयोजन आदि होते हैं।
  • ये नियम क्रिया के रूप में व्याप्तियों और अर्थों को व्यक्त करने के लिए उपयोगी होते हैं और भाषा को संपूर्ण और संगठित बनाते हैं।
  • इस प्रकार, क्रिया अनुबंध के नियम क्रियाओं के उपयोग को सुगम बनाते हैं और भाषा की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं।

विषय-क्रिया अनुबंध अभ्यास | Practising Kriya in Hindi

  • विषय-क्रिया अनुबंध अभ्यास भाषा में क्रिया और उनके सम्बंधित संज्ञाओं के बीच सही मेल को स्थापित करने के लिए किया जाता है।
  • इस अभ्यास के माध्यम से, हम वाक्यों में विषय और क्रिया के मेल को समझते हैं और वाक्यों को सुगमता से बनाते हैं।
  • यह हमारी भाषा के सही और स्पष्ट उपयोग को सुनिश्चित करने में मदद करता है।

धातुओं के आधार पर क्रिया के प्रकार | Use of Kriya based on Roots in Hindi

क्रिया व्याकरण में, क्रियाएँ धातुओं के आधार पर तीन प्रकार में विभाजित की जाती हैं।

क्रिया जो किसी कार्य को करने के लिए होती हैं (कर्म) 

ये क्रियाएँ उन कामों को दर्शाती हैं जो किसी कर्म को करने के लिए होते हैं। ये क्रियाएँ उस क्रिया को दिखाती हैं जिसमें कोई काम हो रहा होता है। उदाहरण के लिए:

  • खाना खाना
  • पानी पीना
  • चलना
  • बोलना

क्रिया जो किसी स्थिति को दर्शाने के लिए होती हैं (भाव)

ये क्रियाएँ उन स्थितियों को दिखाती हैं जिनमें कोई व्यक्ति, वस्तु या भाव रहता है। ये क्रियाएँ व्यक्ति या वस्तु के अस्तित्व को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए:

  • होना
  • रहना
  • सोना
  • खड़ा होना

क्रिया जो किसी घटना को दर्शाने के लिए होती हैं (वृत्ति)

ये क्रियाएँ किसी घटना को दिखाती हैं जो किसी व्यक्ति द्वारा होती है। इन क्रियाओं में कोई कर्म नहीं होता है, बल्क केवल घटना होती है। उदाहरण के लिए:

  • आना
  • जाना
  • जीना
  • मरना

क्रिया और कारक | Verb aur kaarak in Hindi

क्रिया व्याकरण में, कारक भी एक महत्वपूर्ण अंग हैं। कारक हमारे वाक्यों को पूर्ण करने में मदद करते हैं और उन्हें सही अर्थ और बोध देते हैं। कारक क्रिया के साथ मिलकर वाक्य को पूर्ण करते हैं। कारकों का सही प्रयोग करना आवश्यक है ताकि वाक्य की सही अर्थ समझ में आ सके।

इसमें सात प्रमुख कारक होते हैं:

  1. कर्ता
  2. कर्म
  3. करण
  4. संबंध
  5. अपादान
  6. अधिकरण
  7. संदर्भ

इन कारकों का सही उपयोग करके हम वाक्य को संपूर्ण और सही बना सकते हैं।

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