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सीबीएसई कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 5 विधानमंडल के लिए अतिरिक्त प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: भारतीय संसद की संरचना को समझाइए।

उत्तर: भारतीय संसद एक द्व द्विसदनीय विधायिका (bicameral) है, जिसमें दो सदन होते हैं:

भारत के राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं, लेकिन वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते। संसद मिलकर कानून बनाती है, राष्ट्रीय नीतियों पर चर्चा करती है, और कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाती है।


प्रश्न 2: लोकसभा के अध्यक्ष की भूमिका क्या है?

उत्तर: लोकसभा के अध्यक्ष का महत्वपूर्ण कार्य सदन में आदेश और अनुशासन बनाए रखना होता है। अध्यक्ष की मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

अध्यक्ष से अपेक्षित है कि वे अपनी भूमिका का निष्पक्षता से और राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर पालन करें।


प्रश्न 3: लोकसभा का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएँ होनी चाहिए?

उत्तर: लोकसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए:

इन योग्यताओं से यह सुनिश्चित होता है कि निर्वाचित सदस्य भारत के लोगों का प्रभावी रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए सक्षम हैं।


प्रश्न 4: भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया क्या है?

उत्तर: भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं:

  1. विधेयक का परिचय: विधेयक को लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जा सकता है, सिवाय धन विधेयकों के, जिन्हें केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। विधेयक सरकार के सदस्य या निजी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है।
  2. प्रथम पठन: विधेयक का परिचय कराया जाता है, और इसके शीर्षक और उद्देश्यों को पढ़ा जाता है। पहले पठन के दौरान कोई बहस नहीं होती।
  3. द्वितीय पठन: विधेयक के सामान्य सिद्धांतों और विवरणों पर बहस होती है। द्वितीय पठन के अंत में मतदान किया जाता है।
  4. समिति चरण: विधेयक को एक संसदीय समिति के पास भेजा जाता है, जो इसके प्रावधानों की जांच करती है और संशोधन की सिफारिश कर सकती है।
  5. तृतीय पठन: विधेयक के अंतिम संस्करण पर बहस होती है और सदस्य इस पर मतदान करते हैं।
  6. अन्य सदन से स्वीकृति: यदि विधेयक पहले सदन में पास हो जाता है, तो इसे दूसरे सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में भेजा जाता है। यदि दूसरे सदन में संशोधन किए जाते हैं, तो विधेयक वापस पहले सदन में स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
  7. राष्ट्रपति की स्वीकृति: जब दोनों सदन विधेयक को पास कर लेते हैं, तो इसे राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति इसे स्वीकृति दे सकते हैं या पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं (धन विधेयकों को छोड़कर)।

एक बार राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत होने के बाद, विधेयक कानून बन जाता है।


प्रश्न 5: भारतीय संसद में राज्यसभा का महत्व क्या है?

उत्तर: राज्यसभा (राज्य परिषद) संसद का ऊपरी सदन है, और इसका महत्व निम्नलिखित है:

इस प्रकार, राज्यसभा भारत की लोकतंत्र की सुचारू कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो संतुलित प्रतिनिधित्व और व्यापक कानून निर्माण सुनिश्चित करती है।


प्रश्न 6: राज्यसभा की शक्तियाँ क्या हैं?

उत्तर: राज्यसभा की कई महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं:

इस प्रकार, राज्यसभा विधायिका की कार्रवाइयों पर नियंत्रण करने के रूप में कार्य करती है और लोकसभा की शक्ति के संतुलन का काम करती है।


प्रश्न 7: भारतीय संसद प्रणाली में लोकसभा की भूमिका क्या है?

उत्तर: लोकसभा, संसद का निचला सदन होने के नाते, भारतीय संसदीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

लोकसभा भारतीय संसद का सबसे शक्तिशाली निकाय है और यह सरकार के कार्यप्रणाली पर सीधा प्रभाव डालती है।


प्रश्न 8: धन विधेयक क्या है? इसके विशेषताएँ और संसद में प्रक्रिया पर चर्चा करें।

उत्तर: धन विधेयक एक ऐसा विधेयक होता है जो वित्तीय मामलों से संबंधित होता है, जैसे करों की प्रवृत्ति, संग्रहण, और सरकारी खर्च। इसके विशेषताएँ और प्रक्रिया निम्नलिखित हैं:

धन विधेयक सरकार के वित्तीय संचालन के लिए आवश्यक होते हैं और सार्वजनिक धन के उपयोग में जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं।


प्रश्न 9: भारतीय संसद कार्यपालिका पर कैसे नियंत्रण करती है?

उत्तर: भारतीय संसद कार्यपालिका पर विभिन्न तंत्रों के माध्यम से नियंत्रण करती है:

यह तंत्र यह सुनिश्चित करते हैं कि कार्यपालिका संसद और जनता के प्रति जवाबदेह रहे।

प्रश्न 10:
कैबिनेट की ‘सामूहिक जिम्मेदारी’ की संकल्पना को समझाइए।

उत्तर:
सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत यह विचार है कि पूरे कैबिनेट को सरकार के निर्णयों और क्रियाओं के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस सिद्धांत की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. समान जिम्मेदारी: कैबिनेट को एक आवाज के रूप में बोलना होता है। यदि कोई मंत्री कैबिनेट के निर्णय से असहमत होता है, तो उसे या तो इस्तीफा देना होता है या सार्वजनिक रूप से निर्णय का समर्थन करना होता है।
  2. संसद के प्रति जवाबदेही: कैबिनेट लोक सभा के प्रति जवाबदेह होती है। यदि लोक सभा कैबिनेट के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो सभी मंत्रियों को इस्तीफा देना होता है।
  3. सामूहिक निर्णय: भले ही निर्णय किसी एक मंत्री द्वारा लिया गया हो, यह पूरे कैबिनेट का निर्णय माना जाता है और कैबिनेट इसके लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार होती है।
  4. प्रधानमंत्री का समर्थन: प्रधानमंत्री कैबिनेट का नेतृत्व करते हैं, और कैबिनेट का समर्थन उनके राजनीतिक अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होता है।

सामूहिक जिम्मेदारी की संकल्पना एक संयुक्त सरकार को सुनिश्चित करती है और लोगों के प्रति जवाबदेही के सिद्धांत को सुदृढ़ करती है।


प्रश्न 11:
भारतीय संसद में ‘मनी बिल’ और ‘साधारण बिल’ के बीच अंतर को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
मनी बिल और साधारण बिल मुख्य रूप से उनके विषय और विधायी प्रक्रिया के संदर्भ में भिन्न होते हैं:

  1. विषय:
    • मनी बिल: यह केवल राष्ट्रीय वित्त से संबंधित मामलों को ही संभालता है, जैसे करों का निर्धारण, सरकारी खर्च, उधारी, आदि। इसमें गैर-वित्तीय प्रावधान नहीं हो सकते।
    • साधारण बिल: यह सामान्य मामलों से संबंधित होता है, जैसे अपराध कानून, नागरिक अधिकार या वित्त से संबंधित नहीं होने वाली नीतियाँ।
  2. प्रस्तावना:
    • मनी बिल: यह केवल लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है और इसकी प्रस्तुति से पहले राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक होती है।
    • साधारण बिल: यह किसी भी सदन (लोक सभा या राज्य सभा) में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  3. राज्य सभा की भूमिका:
    • मनी बिल: राज्य सभा केवल संशोधन का सुझाव दे सकती है, और लोक सभा का अंतिम निर्णय होता है। यदि राज्य सभा 14 दिनों के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करती, तो मनी बिल पारित माना जाता है।
    • साधारण बिल: राज्य सभा को संशोधन या अस्वीकरण में समान अधिकार प्राप्त होता है।
  4. राष्ट्रपति की स्वीकृति:
    • मनी बिल: राष्ट्रपति एक बार दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद अस्वीकृति नहीं कर सकते।
    • साधारण बिल: राष्ट्रपति स्वीकृति से मना कर सकते हैं, उसे पुनर्विचार के लिए भेज सकते हैं (मनी बिलों को छोड़कर), या यहां तक कि इसे न्यायिक समीक्षा के लिए सुरक्षित भी रख सकते हैं।

प्रश्न 12:
भारतीय विधायी प्रणाली में संसदीय समितियों का महत्व क्या है?

उत्तर:
संसदीय समितियाँ सरकार की प्रभावी जांच और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं:

  1. विस्तृत जांच: समितियाँ नीतियों, विधेयकों और मुद्दों की विस्तृत जांच करने का अवसर देती हैं, जो पूर्ण संसदीय सत्रों के दौरान संभव नहीं होता। इससे कानून पारित होने से पहले उन्हें बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
  2. विशेषज्ञ निगरानी: सार्वजनिक लेखा समिति (PAC), अनुमानों की समिति, और सार्वजनिक उपक्रम समिति जैसी समितियाँ कार्यकारी की क्रियाओं की निगरानी करती हैं, जिससे पारदर्शिता और कानूनों का पालन सुनिश्चित होता है।
  3. समय की बचत: समितियाँ अवकाश के दौरान काम करती हैं और विधायी कामकाज को अधिक केंद्रित तरीके से संभालती हैं, जिससे संसद व्यापक बहस के लिए मुक्त रहती है।
  4. सिफारिशें: समितियाँ महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करती हैं, जिन्हें सरकार अक्सर अपनाती है, और नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करती हैं।

यह समितियाँ गहन निगरानी सुनिश्चित करती हैं, पारदर्शिता बढ़ाती हैं और जिम्मेदार शासन की दिशा में मदद करती हैं।


प्रश्न 13:
भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया को समझाइए।

उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति का महाभियोग एक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसे राष्ट्रपति के संविधान का उल्लंघन करने पर चलाया जाता है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित है:

  1. प्रारंभ: महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन (लोक सभा या राज्य सभा) में एक लिखित प्रस्ताव द्वारा प्रारंभ की जा सकती है, जिसे कम से कम सदन के कुल सदस्य संख्या के एक-चतुर्थांश द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए।
  2. जांच: प्रस्ताव की जांच उस सदन द्वारा नियुक्त एक समिति द्वारा की जाती है, जो राष्ट्रपति के खिलाफ आरोपों की सत्यता की पुष्टि करती है।
  3. संसद में स्वीकृति: यदि जांच में राष्ट्रपति दोषी पाये जाते हैं, तो प्रस्ताव को उस सदन में दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होता है।
  4. दूसरे सदन में स्थानांतरण: एक बार प्रस्ताव पहले सदन से पारित होने के बाद, इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है, जहां इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित करना होता है।
  5. अंतिम कार्रवाई: जब दोनों सदन प्रस्ताव को पारित कर देते हैं, तो राष्ट्रपति का महाभियोग किया जाता है और वे पद से हटा दिए जाते हैं।

यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति का पद मनमाने कार्यों से सुरक्षित रहे, जबकि जवाबदेही भी बनी रहती है।


प्रश्न 14:
भारतीय संसद के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
भारतीय संसद कई महत्वपूर्ण कार्य करती है:

  1. कानून निर्माण: संसद का मुख्य कार्य संघ सूची, समवर्ती सूची, और राज्य सूची में सूचीबद्ध मामलों पर कानून बनाना है (संविधान के तहत शक्तियों के विभाजन के अनुसार)।
  2. कार्यकारी पर नियंत्रण: संसद सरकार की गतिविधियों की जांच करती है, नीतियों पर चर्चा करती है और सुनिश्चित करती है कि कार्यकारी जिम्मेदार है। यह अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सरकार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर सकती है।
  3. बजट और वित्तीय नियंत्रण: संसद वार्षिक बजट को मंजूरी देती है, और सरकार को धन व्यय करने से पहले इसकी स्वीकृति प्राप्त करना होती है। यह यह भी निगरानी करती है कि सार्वजनिक धन का किस प्रकार उपयोग किया जा रहा है।
  4. जनता का प्रतिनिधित्व: संसद अपने सदस्यों के माध्यम से जनता के विचारों, हितों और शिकायतों का प्रतिनिधित्व करती है। सांसद सार्वजनिक कल्याण, कानूनों और नीतियों से संबंधित मुद्दे उठाते हैं।
  5. न्यायिक शक्तियाँ: संसद के पास राष्ट्रपति का महाभियोग करने, न्यायाधीशों को हटाने और संवैधानिक उल्लंघन के मामलों को संबोधित करने की शक्तियाँ हैं।

ये कार्य लोकतांत्रिक शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं।


प्रश्न 15:
भारतीय संसद में ‘व्हिप’ की संकल्पना क्या है?

उत्तर:
व्हिप एक सांसद होता है जो पार्टी के सदस्यों को संसदीय सत्रों में भाग लेने और विशेष मुद्दों पर पार्टी की स्थिति के अनुसार मतदान करने के लिए सुनिश्चित करता है। व्हिप के कार्यों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  1. अनुशासनात्मक भूमिका: व्हिप यह सुनिश्चित करता है कि सांसद पार्टी के दिशा-निर्देशों का पालन करें, विशेषकर महत्वपूर्ण वोटों, जैसे अविश्वास प्रस्ताव, बजट वोट, या महत्वपूर्ण विधेयकों पर।
  2. व्हिप जारी करना: पार्टी अपने सदस्यों को किसी विशेष तरीके से वोट करने के लिए व्हिप जारी कर सकती है (जैसे, किसी विधेयक के पक्ष में या विपक्ष में)। सांसदों को पार्टी के निर्देशों का पालन करना अपेक्षित होता है, और यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
  3. पार्टी एकता को मजबूत करना: व्हिप पार्टी के अनुशासन और एकता को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे मतदान के दौरान पार्टी की शक्ति बनी रहती है।
  4. व्हिप के दो प्रकार: तीन-लाइन व्हिप एक कड़ा निर्देश होता है, जिसमें सांसदों से उपस्थित होने और निर्देशित तरीके से मतदान करने की उम्मीद होती है, जबकि दो-लाइन व्हिप थोड़ा कम कड़ा होता है, जिससे सांसदों को अधिक स्वतंत्रता मिलती है।

व्हिप पार्टी की संगति और अनुशासन सुनिश्चित करता है, खासकर संसदीय कार्यवाही के दौरान।


प्रश्न 16:
‘संसदीय संप्रभुता’ की संकल्पना क्या है?

उत्तर:
संसदीय संप्रभुता वह सिद्धांत है, जिसके अनुसार संसद देश की सर्वोच्च विधायी संस्था है। इसके गुण निम्नलिखित हैं:

  1. असीमित विधायी शक्ति: संसद कोई भी कानून बना सकती है, संशोधित कर सकती है या रद्द कर सकती है, बिना किसी कानूनी सीमा के।
  2. कार्यकारी पर सर्वोच्चता: कार्यकारी संसद के प्रति जवाबदेह है, और संसद द्वारा पारित कोई भी कानून कार्यकारी द्वारा निरस्त नहीं किया जा सकता है। यहां तक कि राष्ट्रपति को भी संसद द्वारा पारित कानूनों पर स्वीकृति देनी होती है।
  3. न्यायिक समीक्षा (कुछ मामलों में): भारतीय संदर्भ में, हालांकि न्यायपालिका के पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है, लेकिन संसद द्वारा पारित कोई भी कानून तब तक रद्द नहीं किया जा सकता, जब तक कि वह संविधान के मूल संरचना का उल्लंघन न करे।

यह संसद की संप्रभुता संविधान द्वारा संतुलित होती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि संसद संविधान के दायरे में कार्य करे और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करे।


प्रश्न 17:
संसद की ‘संघीय संरचना’ की संकल्पना क्या है?

उत्तर:
संसद की संघीय संरचना वह संकल्पना है जिसके तहत केंद्रीय सरकार और राज्यों दोनों को विधायी प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है। इसके मुख्य गुण निम्नलिखित हैं:

  1. द्विसदनीय संसद: भारत की संसद द्व chambersीय है, जिसमें लोक सभा (जनता का सदन) और राज्य सभा (राज्यों का परिषद) शामिल हैं। लोक सभा सीधे लोगों का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि राज्य सभा राज्यों और संघ शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करती है।
  2. राज्य का प्रतिनिधित्व: राज्य सभा यह सुनिश्चित करती है कि राज्यों को संसद में उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। प्रत्येक राज्य को राज्य सभा में सदस्य मिलते हैं, चाहे वह राज्य छोटा हो या बड़ा, जिससे क्षेत्रीय हितों को आवाज मिलती है।
  3. शक्तियों का विभाजन: संघ सूची, राज्य सूची, और समवर्ती सूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण का निर्धारण करती है, जिसमें संसद को केवल संघ सूची से संबंधित मामलों पर विशेष अधिकार प्राप्त होता है।
  4. राज्यों की भूमिका: राज्य सरकारों की राज्य सभा में भूमिका होती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके मुद्दे और हित राष्ट्रीय कानून बनाते समय ध्यान में रखें जाएं, विशेषकर उन मुद्दों पर जो क्षेत्रीय शासन से संबंधित होते हैं।

यह संघीय संरचना केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति का संतुलन सुनिश्चित करती है, जिससे क्षेत्रीय हितों का राष्ट्रीय विधायिका में प्रतिनिधित्व होता है।


प्रश्न 18:
राज्य सभा के सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएँ क्या हैं?

उत्तर:
राज्य सभा का सदस्य बनने के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएँ प्राप्त करनी होती हैं:

  1. नागरिकता: उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए।
  2. आयु: उम्मीदवार की आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।
  3. मतदाता सूची में नाम: उम्मीदवार का नाम किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूची में होना चाहिए।
  4. अयोग्यता: उम्मीदवार को अयोग्य नहीं होना चाहिए, जैसे मानसिक अस्वस्थता, लाभ के पद पर होना या किसी अपराध में दोषी होना।
  5. राज्य और संघ शासित प्रदेशों द्वारा निर्वाचित: राज्य सभा के सदस्य राज्य विधानसभाओं और संघ शासित प्रदेशों के सदस्य द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं, जो एकल हस्तांतरणीय मतदान द्वारा प्रतिनिधित्व करते हैं।

यह योग्यताएँ यह सुनिश्चित करती हैं कि राज्य सभा के सदस्य में राज्यों और संघ शासित प्रदेशों का उचित प्रतिनिधित्व करने की क्षमता, अनुभव और कानूनी स्थिति होती है।

प्रश्न 19: भारतीय संसद में उपराष्ट्रपति की भूमिका पर चर्चा करें।

उत्तर: भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं और संसद के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

इस प्रकार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सुचारू संचालन और उसके कार्यों के दौरान आदेश बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


प्रश्न 20: अविश्वास प्रस्ताव क्या है? भारतीय संसद में इसके महत्व की व्याख्या करें।

उत्तर: अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में एक ऐसा प्रस्ताव है, जो वर्तमान सरकार के प्रति विश्वास की कमी को व्यक्त करता है। इसके महत्व में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

अविश्वास प्रस्ताव एक शक्तिशाली उपकरण है जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकार जनता के प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी रहे और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखे।


प्रश्न 21: राज्यसभा के सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यताएँ क्या हैं?

उत्तर: राज्यसभा के सदस्य बनने के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करनी चाहिए:

यह योग्यताएँ सुनिश्चित करती हैं कि राज्यसभा के सदस्य पर्याप्त अनुभव, परिपक्वता और कानूनी स्थिति रखते हैं ताकि वे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का सही प्रतिनिधित्व कर सकें।


प्रश्न 22: राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रिया में भूमिका की व्याख्या करें।

उत्तर: भारत के राष्ट्रपति की विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है:

राष्ट्रपति की भूमिका यह सुनिश्चित करती है कि विधायी प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और यह संविधान के अनुरूप हो।


प्रश्न 23: भारतीय विधायिका में मंत्रिपरिषद की भूमिका क्या है?

उत्तर: मंत्रिपरिषद भारतीय विधायिका में एक प्रमुख निर्णय-निर्माण निकाय है:

मंत्रिपरिषद यह सुनिश्चित करती है कि विधायी कार्य कार्यकारी के कार्यों से संबंधित हैं और यह एक समन्वित शासन प्रणाली को सुनिश्चित करती है।


प्रश्न 24: भारतीय बजट प्रक्रिया में लोकसभा की भूमिका क्या है?

उत्तर: लोकसभा भारतीय बजट प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाती है:

लोकसभा के पास बजट पर विशेष नियंत्रण होता है, जो सरकार के कामकाज के लिए अनिवार्य है।


प्रश्न 25: लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव प्रक्रिया क्या है?

उत्तर: लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव निम्नलिखित प्रक्रिया के तहत होता है:

अध्यक्ष लोकसभा की गरिमा बनाए रखने और उसके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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