राम का राज्याभिषेक – सारांश
“राम का राज्याभिषेक” भारतीय संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो रामायण के अंतर्गत आता है। यह कथा राम के संघर्षों, उनकी नैतिकता, और अंततः उन्हें अयोध्या के राजा के रूप में स्वीकार करने के क्षण को दर्शाती है। यह न केवल एक ऐतिहासिक और धार्मिक घटना है, बल्कि यह मानवीय संबंधों, भाईचारे और धर्म की विजय का प्रतीक भी है। इस कहानी के माध्यम से हम राम के चरित्र को समझते हैं, जो आदर्शता, निष्ठा और धैर्य का प्रतीक हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे प्रेम और कर्तव्य के प्रति समर्पण से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
विभीषण का प्रस्ताव
विभीषण, जो रावण के छोटे भाई हैं, राम से आग्रह करते हैं कि वे कुछ दिन नई लंका में विश्राम करें। लेकिन राम का उद्देश्य स्पष्ट है—उन्हें चौदह वर्षों के बाद अयोध्या पहुँचना है। उन्होंने यह भी बताया कि भरत ने उनके लौटने पर प्राण दे देने की प्रतिज्ञा की है। विभीषण राम की इस तीव्र इच्छा को समझते हैं और उनके अयोध्या लौटने के फैसले का समर्थन करते हैं।
पुष्पक विमान की यात्रा
राम, सीता, विभीषण और सुग्रीव की रानियाँ पुष्पक विमान में सवार होकर अयोध्या की ओर रवाना होते हैं। विमान के उड़ान भरने के दौरान, राम सीता को मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थलों के बारे में बताते हैं। विमान गंगा-यमुना के संगम पर स्थित ऋषि भारद्वाज के आश्रम के पास उतरता है, जहाँ सबने रात बिताई। यह घटना एकता और विश्राम की आवश्यकता को दर्शाती है।
हनुमान का संदेश
राम ने हनुमान को अयोध्या भेजा ताकि वे वहाँ का हाल जान सकें। हनुमान ने निषादराज गुह से मिलकर अयोध्या की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की। नन्दीग्राम पहुँचकर, हनुमान भरत को राम के आने की सूचना देते हैं। भरत की खुशी यह दर्शाती है कि भाई-भाई का संबंध कितना गहरा और सच्चा है।
अयोध्या की तैयारियाँ
अयोध्या में राम के स्वागत की तैयारियाँ धूमधाम से होने लगीं। राम का विमान नन्दीग्राम में उतरा, जहाँ उन्होंने भरत को गले लगाया और माताओं को प्रणाम किया। भरत ने राम की खड़ाऊँ उठाई और उन्हें पहनाईं। राम, लक्ष्मण और सीता ने नंदीग्राम में तपस्वी वस्त्र उतार कर राजसी वस्त्र पहन लिए और अयोध्या नगरी में प्रवेश किया।
राजमहल में उत्सव
राजमहल पहुँचने पर, मुनि वशिष्ठ ने कहा कि सुबह राम का राज्याभिषेक होगा। पूरा नगर सजाया गया था, और शत्रुघ्न ने राज्याभिषेक की सभी तैयारियाँ पहले से ही कर दी थीं। रात के समय समस्त नगर में दीपोत्सव मनाया गया, जिससे पूरे अयोध्या में खुशी और उल्लास का माहौल बना रहा।
राजतिलक समारोह
अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता सोने के रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे, जबकि लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान ने राम के चरणों में बैठकर उनकी सेवा की। माताओं ने आरती उतारी। सीता ने अपने गले का हार हनुमान को दिया। धीरे-धीरे सभी अतिथि विदा हो गए, और ऋषि-मुनि अपने-अपने आश्रमों में लौट गए।
राज्याभिषेक का परिणाम
राम ने लंबे समय तक राज्य किया, और उनके शासन में किसी को भी कष्ट नहीं हुआ। यह घटना रामराज्य का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है, जहाँ सभी नागरिक सुखी और संतुष्ट रहते हैं। राम का शासन धर्म, न्याय और प्रेम पर आधारित था, जिससे अयोध्या एक आदर्श राज्य बन गई।
निष्कर्ष
“राम का राज्याभिषेक” केवल एक राजा के राज्यारोहण की कथा नहीं है, बल्कि यह जीवन के गहरे मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे प्रेम, निष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। राम के आदर्श शासन की अवधारणा आज भी समाज में प्रेरणा देती है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि एक सच्चा राजा वह है जो अपने प्रजाजन की भलाई का ध्यान रखता है और धर्म एवं न्याय के मार्ग पर चलता है। रामराज्य का सपना आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक है, जहाँ सभी को समान अधिकार और सम्मान मिले।
शब्दार्थ
- सान्निध्य – साथ रहना
- अनुरोध – प्रार्थना
- कोषागार – खजाना
- सेतुबंध – पुल
- शिरोमणि – सरताज
- भव्य – शानदार
- जयघोष – जय-जयकार के नारे
- बाना – वस्त्र
- आह्लादित – प्रसन्न
- विरत – अलग
- सुवासित – सुगंधित
- झंकृत – मधुर ध्वनि से युक्त
- मंगलाचार – मंगल गीत
- याण – जाना
- स्मृतियाँ – यादें
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