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CBSE कक्षा 11 राजनीति विज्ञान नोट्स अध्याय 6: नागरिकता

1. नागरिकता क्या है?

नागरिकता वह कानूनी स्थिति है जिसके तहत कोई व्यक्ति एक विशिष्ट राज्य या राष्ट्र का सदस्य होता है। यह व्यक्ति और राज्य के बीच संबंध को स्थापित करती है, और व्यक्तियों को कुछ अधिकारों, कर्तव्यों और विशेषाधिकारों से संपन्न करती है।

नागरिक के अधिकार: इसमें नागरिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार और सामाजिक अधिकार शामिल होते हैं जैसे वोट देने का अधिकार, सार्वजनिक कार्यालय धारण करने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और कानूनी सुरक्षा का अधिकार।

नागरिक के कर्तव्य: नागरिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे कानूनों का पालन करें, कर अदा करें और राज्य के विकास और कल्याण में योगदान करें।

नागरिकता की प्रमुख विशेषताएँ:


2. नागरिकता के प्रकार

एकल नागरिकता (Single Citizenship)

एकल नागरिकता में, एक व्यक्ति केवल एक देश का नागरिक होता है। यह नागरिकता का सबसे सामान्य रूप है, जो अधिकांश देशों में पाया जाता है, जिसमें भारत भी शामिल है। उदाहरण: एक भारतीय नागरिक केवल भारत का नागरिक होता है, इसके साथ आने वाले सभी अधिकारों और कर्तव्यों के साथ, और भारतीय संविधान के तहत वह किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं रख सकता है।

द्वैतीयक नागरिकता (Dual Citizenship)

द्वैतीयक नागरिकता तब होती है जब एक व्यक्ति दो देशों का नागरिक होता है, और दोनों देशों के अधिकारों और विशेषाधिकारों का享享 करता है। हालांकि, भारत द्वैतीयक नागरिकता को मान्यता नहीं देता। यदि कोई व्यक्ति अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो उसे भारतीय नागरिकता त्यागनी पड़ती है। कुछ देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन निश्चित शर्तों के तहत द्वैतीयक नागरिकता की अनुमति देते हैं।

बहुगुणित नागरिकता (Multiple Citizenship)

कुछ देशों में बहुगुणित नागरिकता की अनुमति होती है, यानी एक व्यक्ति दो से अधिक देशों का नागरिक हो सकता है। उदाहरण: एक व्यक्ति को भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन की नागरिकता हो सकती है, यदि संबंधित देशों द्वारा अनुमति दी जाती है।


3. नागरिकता और राष्ट्रीयता

जबकि नागरिकता एक कानूनी और राजनीतिक अवधारणा है जो एक व्यक्ति को विशिष्ट देश में अधिकार और कर्तव्य प्रदान करती है, राष्ट्रीयता एक देश के साथ संबंध को दर्शाती है, जो सामान्यतः जन्म स्थान, वंश या सांस्कृतिक पहचान पर आधारित होती है।

राष्ट्रीयता अधिकतर अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में उपयोग की जाती है, जो किसी व्यक्ति की राष्ट्र के साथ सदस्यता को दर्शाती है। नागरिकता एक कानूनी संबंध को सूचित करती है और इसे जन्म, वंश, प्राकृतिककरण या पंजीकरण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।


4. नागरिकता प्राप्त करने के तरीके

जन्म द्वारा (By Birth)

वह व्यक्ति जो किसी देश की सीमा में जन्म लेता है, सामान्यत: जन्म के आधार पर नागरिकता प्राप्त करता है। उदाहरण: भारत में, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5 के तहत, भारत में 1950 के बाद जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति (कुछ अपवादों को छोड़कर) भारतीय नागरिक होता है।

वंश द्वारा (By Descent)

यदि किसी व्यक्ति का जन्म देश के बाहर हुआ है और उसके माता-पिता उस देश के नागरिक हैं, तो उसे वंश के आधार पर नागरिकता मिल सकती है। उदाहरण: यदि भारतीय माता-पिता के विदेश में जन्मे बच्चे को भारतीय नागरिकता मिल सकती है, तो यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

प्राकृतिककरण द्वारा (By Naturalization)

एक विदेशी व्यक्ति कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से नागरिकता प्राप्त कर सकता है, जिसे प्राकृतिककरण कहा जाता है। इसमें कुछ मानदंडों को पूरा करना पड़ता है जैसे निवास, राष्ट्रीय भाषा का ज्ञान और अच्छा चरित्र। भारत में, अनुच्छेद 9 के तहत, प्राकृतिककरण के आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है, जिसमें निवास, भाषा दक्षता और देश के प्रति निष्ठा शामिल है।

पंजीकरण द्वारा (By Registration)

कुछ देशों में, विशेष श्रेणियों (जैसे नागरिकों के वंशज या कुछ क्षेत्रों के निवासी) के लोग पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए है जिनका ऐतिहासिक संबंध किसी देश से है, लेकिन जो जन्म के समय नागरिकता प्राप्त नहीं कर पाए थे।


5. नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य

नागरिकों के अधिकार:

नागरिकों के कर्तव्य:


6. भारतीय संदर्भ में नागरिकता

भारतीय संविधान के तहत नागरिकता:

भारतीय संविधान नागरिकता को भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) में परिभाषित करता है। इसे जन्म, वंश और प्राकृतिककरण के आधार पर नागरिकता प्रदान करने के लिए प्रारंभ में तैयार किया गया था। नागरिकता अधिनियम, 1955 भारत में नागरिकता प्राप्त करने और समाप्त करने के लिए नियमों का पालन करता है।

भारतीय नागरिकता जन्म के आधार पर:

भारत में जन्म लेने वाला व्यक्ति नागरिकता प्राप्त करता है, कुछ शर्तों के अधीन। हालांकि, अनुच्छेद 5 में 1950 के बाद नागरिकता के बारे में सटीक शर्तें दी गई हैं। संविधान (संशोधन) अधिनियम 2003 ने संशोधन किए हैं जिनके तहत अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से रोक दिया गया है, विशेष रूप से वे जो पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश और पाकिस्तान से आते हैं।

भारतीय नागरिकता वंश के आधार पर:

जो व्यक्ति भारत के बाहर जन्मा है, वह भारतीय नागरिक बन सकता है यदि उसके माता-पिता में से कोई एक व्यक्ति उस समय भारतीय नागरिक था। अगर बच्चा देश के बाहर जन्मा है, तो उसे नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा।

पंजीकरण द्वारा नागरिकता:

वे लोग जो भारतीय मूल के नहीं हैं, लेकिन भारत में निर्धारित समय तक रहे हैं और विशिष्ट शर्तें पूरी करते हैं, पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता:

विदेशी नागरिक जो कुछ आवश्यकताएँ पूरी करते हैं, जैसे भारत में लंबे समय तक निवास (आमतौर पर 12 वर्ष), भाषा की दक्षता, और भारत राज्य के प्रति निष्ठा, वे प्राकृतिककरण के द्वारा नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

नागरिकता की हानि:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह अपनी भारतीय नागरिकता खो देता है। अनुच्छेद 10 सरकार को यह अधिकार देता है कि यदि यह पाया जाता है कि किसी व्यक्ति ने भारतीय नागरिकता धोखाधड़ी से प्राप्त की है, तो उसे भारतीय नागरिकता से वंचित किया जा सकता है।


7. निर्राष्ट्रीयता और शरणार्थी

निर्राष्ट्रीयता (Statelessness):

यदि किसी व्यक्ति के पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं है, तो उसे निर्राष्ट्रीय माना जाता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे कि किसी देश का विघटन, युद्ध, या राष्ट्रीयता से संबंधित कानूनी समस्याएँ। निर्राष्ट्रीय लोग वे सभी अधिकार प्राप्त नहीं कर पाते जो नागरिकों को प्राप्त होते हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और कानूनी अधिकार।

शरणार्थी और शरणार्थी का दर्जा (Refugees and Asylum Seekers):

शरणार्थी वे लोग होते हैं जो धर्म, जाति, राष्ट्रीयता, या किसी विशेष सामाजिक समूह के सदस्य होने के कारण उत्पीड़न के डर से अपने देश से भाग जाते हैं। शरणार्थी का दर्जा प्राप्त करने के लिए शरणार्थी आवेदन करते हैं और उन्हें शरण प्रदान करने के लिए देशों पर अंतरराष्ट्रीय समझौतों द्वारा बंधन होता है, हालांकि यह सुरक्षा अक्सर सीमित होती है।


8. निष्कर्ष

नागरिकता व्यक्तियों और राज्य के बीच संबंध को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह व्यक्तियों के अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है और राज्य के शासन और सामाजिक ढांचे में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है। नागरिकता पर यह अध्याय नागरिकता प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों, द्वैतीयक नागरिकता की अवधारणा, और इसके साथ जुड़े अधिकारों और कर्तव्यों पर प्रकाश डालता है। नागरिकता को समझना लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं को समझने के लिए आवश्यक है।

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