“संसार पुस्तक है”- सारांश
यह पाठ पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को लिखा गया एक पत्र है। इस पत्र में नेहरू जी दुनिया और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में अपनी बेटी को समझाना चाहते हैं। चलिए इसे विस्तार से समझते हैं:
पत्र का संदर्भ
- नेहरू जी उस समय इलाहाबाद में थे और उनकी दस वर्षीय पुत्री इंदिरा गांधी मसूरी में थीं।
- यह पत्र एक माध्यम है जिससे वे अपनी बेटी को दुनिया के बारे में जानकारी देना चाहते हैं।
दुनिया को एक एकाई के रूप में देखना
- नेहरू जी इंदिरा से कहते हैं कि तुमने इंग्लैंड और हिंदुस्तान के बारे में इतिहास में पढ़ा होगा, लेकिन अगर तुम्हें सच्चे अर्थों में दुनिया को जानना है, तो समझना होगा कि सारा संसार एक है।
- वे इसे एक परिवार की तरह बताते हैं, जिसमें सभी लोग भाई-बहन हैं।
पृथ्वी का प्राचीन इतिहास
- नेहरू जी बताते हैं कि यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। एक समय ऐसा था जब धरती बहुत गर्म थी और उस पर कोई जीवित नहीं रह सकता था।
- वे यह भी कहते हैं कि इतिहास को किताबों में पढ़ा जा सकता है, लेकिन जब आदमी नहीं था, तब किताबें कौन लिखता?
प्रकृति के माध्यम से ज्ञान
- नेहरू जी के अनुसार, पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, और जंगलों के माध्यम से भी पुरानी दुनिया का पता लगाया जा सकता है।
- वे “संसार रूपी पुस्तक” की बात करते हैं, जिसे पढ़ने के लिए पत्थरों और पहाड़ों को समझना होगा।
- सड़क पर या पहाड़ के नीचे का एक छोटा-सा पत्थर भी उस पुस्तक का पृष्ठ बन सकता है।
ज्ञान की प्राप्ति
- नेहरू जी यह बताते हैं कि जैसे हम भाषा सीखने के लिए अक्षरों का ज्ञान प्राप्त करते हैं, वैसे ही प्रकृति को समझने के लिए भी हमें पत्थरों और चट्टानों से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
- वे उदाहरण देते हैं कि एक चिकना पत्थर अपने बारे में बहुत कुछ बताता है—जैसे उसका आकार, चिकनाई, और खुरदुरे किनारे कैसे बने।
पत्थरों से सीखना
- अंत में, वे कहते हैं कि अगर एक छोटा-सा पत्थर इतनी जानकारी दे सकता है, तो पहाड़ों और अन्य चीजों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है।
- यह ज्ञान हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलती है।
कठिन शब्दों के अर्थ
- अकसर – प्रायः, अक्सर
- खत – पत्र
- आबाद – बसा हुआ, निवासित
- गौर से – ध्यान से, अच्छी तरह
- जर्रा – कण, छोटी मात्रा
- दामन – तलहटी, पर्वत की नीचे की ओर
- खुरदरा – जिसकी सतह चिकनी न हो, असमान
- घरौंदा – बच्चों द्वारा बनाया गया मिट्टी का छोटा-सा घर
निष्कर्ष
पंडित नेहरू का यह पत्र न केवल अपनी पुत्री को ज्ञान देने का प्रयास है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें प्रकृति और उसके तत्वों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। संसार एक पुस्तक है, और इसके पन्नों को पढ़ने के लिए हमें अपने चारों ओर की चीज़ों पर ध्यान देना होगा। इस पत्र के माध्यम से नेहरू जी ने यह प्रेरणा दी है कि ज्ञान केवल किताबों में नहीं, बल्कि हमारे आस-पास की दुनिया में भी मौजूद है।
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