CBSE Class 6 hindi Chapter 14 लोकगीत

“लोकगीत”- सारांश

लोकगीत, भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा हैं, जो हमारे समाज के जीवन, भावनाओं और परंपराओं को दर्शाते हैं। ये गीत न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि ये हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास की गहराई में जड़े हुए हैं। लोकगीतों की विविधता भारत के विभिन्न क्षेत्रों, जातियों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ये गीत समाज के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इस निबंध में हम लोकगीत की परिभाषा, उनकी उत्पत्ति और विकास, विभिन्न प्रकार, विषय और राग, स्त्रियों की भूमिका, और उनके भविष्य पर चर्चा करेंगे।

लोकगीत की परिभाषा और महत्व

लोकगीत वह संगीत है जो आम जनता द्वारा रचा गया है और जो उनकी दिनचर्या, भावनाओं और अनुभवों का प्रतिबिंब है। ये गीत आमतौर पर सरल होते हैं, और इनकी संरचना एवं शैली लोगों की ज़िंदगी से गहराई से जुड़ी होती है। लोकगीतों का महत्व इस प्रकार है:

  • सांस्कृतिक पहचान: लोकगीत किसी क्षेत्र या समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को स्पष्ट करते हैं।
  • सामाजिक संबंध: ये गीत सामूहिकता और एकता को बढ़ावा देते हैं, विशेष रूप से सामुदायिक समारोहों और त्योहारों में।
  • भावनात्मक अभिव्यक्ति: लोकगीत लोगों की खुशियों, दुखों, प्रेम और सामाजिक मुद्दों को व्यक्त करते हैं।

उत्पत्ति और विकास

लोकगीतों की उत्पत्ति प्राचीन समय से मानी जाती है। पहले इन्हें शास्त्रीय संगीत के मुकाबले कमतर समझा जाता था, लेकिन समय के साथ इन्हें सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य का सम्मान मिला। लोकगीतों का विकास:

  • स्थानीय भाषाएँ और बोलियाँ: विभिन्न भाषाओं और बोलियों में लोकगीतों की रचना हुई, जो स्थानीय संस्कृति का हिस्सा बनी।
  • सामाजिक बदलाव: सामाजिक और राजनीतिक बदलावों ने लोकगीतों की विषयवस्तु में विविधता लाई। ये गीत आम जनता की आवाज बन गए।

प्रकारों की विविधता

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोकगीतों की विभिन्न शैलियाँ और प्रकार हैं:

  • आदिवासी गीत: आदिवासी समुदायों के गीत, जैसे गोंड और भील, उनके दैनिक जीवन, त्योहारों और रीति-रिवाजों को दर्शाते हैं। इनके संगीत में अक्सर नृत्य और नाटक का भी समावेश होता है।
  • पहाड़ी गीत: हिमालयी क्षेत्रों में पहाड़ी गीत जैसे ‘नैनीताल के गीत’ और ‘कश्मीर के लोकगीत’ भिन्न-भिन्न रूपों में पाए जाते हैं। इनका संगीत, लय और बोल पहाड़ी जीवन की सच्चाइयों को दर्शाते हैं।
  • उत्सव गीत: बारहमासा, कजरी और चैता जैसे गीत विभिन्न मौसमों और त्योहारों के अवसर पर गाए जाते हैं। इन गीतों में प्रेम, समर्पण और प्रकृति के प्रति प्रेम की भावनाएँ व्यक्त की जाती हैं।
  • राजस्थानी लोकगीत: जैसे ‘ढोला मारू’ और ‘गेर’ गाने राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। इनमें वीरता और प्रेम की कहानियाँ होती हैं।

विषय और राग

लोकगीतों का विषय अक्सर सामान्य जीवन के अनुभवों पर आधारित होता है:

  • प्रेम और परिवार: इन गीतों में प्रेम कहानियाँ, परिवार की महत्ता और सामाजिक संबंधों का महत्व होता है। विशेष अवसरों जैसे विवाह और जन्म के समय गाए जाने वाले गीतों में ये भावनाएँ व्यक्त होती हैं।
  • सामाजिक मुद्दे: कई लोकगीत सामाजिक मुद्दों, जैसे जाति, वर्ग और संघर्षों को उजागर करते हैं।
  • प्राकृतिक सुंदरता: कई गीतों में प्राकृतिक सौंदर्य, जैसे बारिश, फसलें, और मौसम का उल्लेख होता है, जो ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

स्त्रियों की भूमिका

भारत में लोकगीतों की रचना और गायन में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये गीत अक्सर महिलाओं द्वारा रचित और गाए जाते हैं:

  • समुदायिक गीत: स्त्रियाँ एक साथ बैठकर गीत गाती हैं, जो सामुदायिक एकता को दर्शाता है। जैसे, ‘गरबा’ और ‘रास’ जैसे नृत्य-गायन में स्त्रियाँ सामूहिक रूप से भाग लेती हैं।
  • विशेष अवसर: जन्म, विवाह, और अन्य पारिवारिक समारोहों पर गाए जाने वाले गीत स्त्रियों द्वारा रचित होते हैं। इन गीतों में उनके भावनात्मक अनुभव और सामाजिक रीतियों का समावेश होता है।

भिन्नता और समानता

भारत के लोकगीत अन्य देशों के लोकगीतों से भिन्न हैं, विशेषकर इस मामले में कि यहां स्त्रियों के गीत पुरुषों के गीतों से अलग होते हैं। अन्य देशों में, जैसे पश्चिमी देशों में, महिला और पुरुष दोनों के गीत आमतौर पर समान होते हैं।

लोकगीतों का भविष्य

आधुनिक समय में, जबकि तकनीकी बदलाव हो रहे हैं, लोकगीतों की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। युवा पीढ़ी ने इन गीतों को नए रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे यह सांस्कृतिक धरोहर जीवित रह सके।

निष्कर्ष

लोकगीत भारतीय संस्कृति का अमूल्य धरोहर हैं, जो न केवल हमारी भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करते हैं, बल्कि हमारे सामाजिक जीवन को भी समृद्ध करते हैं। ये गीत हमें हमारे अतीत से जोड़ते हैं और वर्तमान में सामाजिक संबंधों को मजबूत करते हैं। इसलिए, लोकगीत केवल संगीत का एक रूप नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं।

इस प्रकार, लोकगीत भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो हमारी पहचान को संरक्षित करते हैं और भावनाओं को व्यक्त करते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • लोच: लचीलापन
  • झाँझ: काँसे की तश्तरियों से बना वाद्य यंत्र
  • करताल: तालियाँ
  • हेय: हीन
  • निर्द्वद्व: बिना किसी दुविधा के
  • मर्म को छूना: प्रभावित करना
  • आह्लादकर: प्रसन्न करने वाला
  • सिरजती: बनाती
  • पुट: अंश
  • उद्दाम: निरंकुश

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