जंगल और जनकपुर -सारांश
रामायण के एक महत्वपूर्ण हिस्से का संक्षेप में वर्णन करती है। यह कथा भगवान राम और लक्ष्मण के साहस और वीरता को उजागर करती है, साथ ही उनकी यात्रा और विवाह के आयोजन का भी विवरण देती है।
यात्रा की शुरुआत
महर्षि विश्वामित्र, राम और लक्ष्मण को लेकर सरयू नदी के किनारे यात्रा शुरू करते हैं।
- विश्राम: एक शाम वे सरयू के तट पर विश्राम करते हैं, जहाँ विश्वामित्र उन्हें ‘बलाअतिबला’ नाम की विद्याएँ सिखाते हैं।
- स्थानीय जानकारी: सुबह होते ही, वे यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले आश्रमों और स्थानीय इतिहास की जानकारी साझा करते हैं।
ताड़का वन का सामना
अगले दिन, वे नाव से गंगा पार कर घने जंगल में प्रवेश करते हैं।
- ताड़का: महर्षि विश्वामित्र ताड़का नाम की राक्षसी के बारे में बताते हैं, जिसके आतंक के कारण इस वन का नाम ‘ताड़का वन’ पड़ा।
- साहसिकता: राम ने महर्षि की आज्ञा पर धनुष चढ़ाया और ताड़का पर बाण चलाया, जिससे वह मारी गई।
सिद्धाश्रम और यज्ञ
महर्षि विश्वामित्र दोनों राजकुमारों के साथ ‘सिद्धाश्रम’ पहुँचते हैं।
- यज्ञ की तैयारी: महर्षि यज्ञ की तैयारी में लग जाते हैं और आश्रम की रक्षा की जिम्मेदारी राम और लक्ष्मण को सौंपते हैं।
- राक्षसों का हमला: यज्ञ के अंतिम दिन सुबाहु और मारीच राक्षसों के दल के साथ आश्रम पर धावा बोलते हैं। राम अपनी वीरता से दोनों राक्षसों का नाश करते हैं।
राजा जनक के पास
महर्षि विश्वामित्र के अनुरोध पर राम और लक्ष्मण को मिथिला के राजा जनक के यहाँ स्वयंबर में भेजा जाता है।
- शिव-धनुष: राजा जनक ने यह प्रतिज्ञा की थी कि जो भी शिव-धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उससे उनकी पुत्री का विवाह होगा।
- राम की शक्ति: राम ने शिव-धनुष को उठाया, और जैसे ही उन्होंने प्रत्यंचा खींची, धनुष बीच में से टूट गया, जिससे राजा जनक बहुत प्रसन्न हुए।
विवाह का आयोजन
महर्षि विश्वामित्र की अनुमति पर राजा जनक ने राजा दशरथ को संदेश भेजा।
- बारात का आगमन: राजा दशरथ बारात लेकर मिथिला पहुँचते हैं।
- विवाह के प्रस्ताव: राजा जनक ने लक्ष्मण के लिए अपनी छोटी पुत्री उर्मिला और भरत तथा शत्रुघ्न के लिए अपनी अन्य दो पुत्रियों का विवाह प्रस्तावित किया, जिसे राजा दशरथ ने स्वीकार कर लिया।
अयोध्या की वापसी
बराती बहुओं के साथ अयोध्या लौटते हैं, जहाँ तीनों रानियों ने अपने पुत्रों और वधुओं की आरती उतारी।
निष्कर्ष
जंगल और जनकपुर बाल राम कथा न केवल राम और लक्ष्मण के साहस का वर्णन करती है, बल्कि यह जीवन के मूल्यों, कर्तव्य, और परंपराओं का भी परिचायक है। यह कथा हमें सिखाती है कि साहस, आत्मविश्वास, और कर्तव्य का पालन करके किसी भी बाधा का सामना किया जा सकता है। राम का आदर्श जीवन और उनके कार्य सदियों से लोगों को प्रेरित करते आ रहे हैं।
शब्दार्थ
- वट – किनारा; नदी या तालाब का किनारा।
- ओझल – गायब; जो दिखाई न दे।
- दुर्गम – कठिन; जिसे पहुँच पाना मुश्किल हो।
- आश्वस्त – विश्वास होना; मन की शांति प्राप्त करना।
- वेग – गति; किसी वस्तु की चाल या प्रवाह।
- अनुमति – आज्ञा; किसी कार्य को करने की स्वीकृति।
- सुवासित – सुगन्धित; जो सुगंधित हो।
- अगवानी – स्वागत; किसी का स्वागत करना।
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