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Extra Questions Class 6 Hindi Vasant पाठ 16 वन के मार्ग में

Extra Questions

लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

राम जी को कितने वर्ष का वनवास मिला था?
उत्तर: राम जी को चौदह वर्षों का वनवास मिला था।

निम्नलिखित शब्दों के अर्थ बताइये:

ये पंक्तियाँ किस ग्रंथ से ली गई हैं?
उत्तर: यह पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस से ली गईं हैं।

निम्नलिखित शब्दों का एक-एक विलोम शब्द बताइये:

प्रथम सवैया में कवि ने राम-सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है?
उत्तर: प्रथम सवैया में कवि तुलसीदास ने राम-सीता के वन-गमन प्रसंग का वर्णन किया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

सीता जी क्यों व्याकुल हो गई थीं?
उत्तर: मार्ग के कष्ट देखकर सीता जी की आँखें भर आयी थीं और माथे पर पसीना आ गया था। राम जी का भी कष्ट देखकर वह कुटिया और पानी के लिए व्याकुल हो गई थीं।

लक्ष्मण कहाँ गए थे?
उत्तर: लक्ष्मण राम और सीता जी के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए गए थे क्योंकि नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने पर ही सीता जी पसीने से लथपथ हो गईं थीं।

कितने कदम चलने के बाद सीता जी व्याकुल हो उठी थीं?
उत्तर: घर से वन की ओर प्रस्थान करने के दो कदम बाद ही सीता जी व्याकुल हो उठी थीं। उनके पैरों में काँटे चुभ गए थे एवं उनके होंठ प्यास से सूखने लगे थे और वो काफी थक गईं थीं।

वन मार्गों की स्थिति क्या थी?
उत्तर: वन मार्गों में बहुत कांटे एवं पत्थर थे, और मौसम भी बहुत गर्म हो रहा था। सीता जी को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा, जैसे वे चलते-चलते थक गईं और उनके माथे पर पसीना आने लगा। प्यास से उनके होंठ सूखने लगे तथा नंगे पाँव होने के कारण उनके पैरों में काँटे भी चुभ गए थे।

राम के आँखों से आँसू क्यों बहने लगे?
उत्तर: सीता जी की व्याकुलता और उनके कष्ट देखकर राम जी के कोमल नैनों में आँसुओं ने जगह बना ली थी। राम जी सीता जी के पैरों को हाथ में लेकर सहलाने लगे और उनके पैरों में चुभे काँटे निकालने लगे।

लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

सवैया क्या होता है? इसके बारे में बताइए।
उत्तर: सवैया एक प्रकार का छन्द है। यह चार चरणों का समपाद वर्णछन्द है। वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहते हैं।

सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: सीता जी की आतुरता राम जी से देखा नहीं जाती। उनकी ऐसी हालत और आतुरता को देखकर वो व्याकुल हो उठते हैं। सीता जी की ऐसी दशा देखकर उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। वे पछताने लगते हैं कि उनके कारण ही सीता जी की यह अवस्था हुई है।

वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखें।
उत्तर: वन के मार्ग में चलते हुए सीता थोड़ी ही देर में थक गईं और उनके माथे से पसीना बहने लगा। उनके कोमल पैरों में काँटे चुभने लगे थे। वह बहुत थक चुकीं थीं और प्यास के कारण उनके होंठ भी सूख गए थे।

तुलसीदास ने इस सवैया में क्या व्यक्त किया है?
उत्तर: तुलसीदास का सवैया दो भागों में निहित है। पहले भाग में उन्होंने सीता जी से समक्ष वन मार्ग में आई कठिनाइयों और उनकी व्याकुलता को व्यक्त किया है। सवैये के दूसरे भाग में सीता की व्याकुलता को देखकर राम जी की आँखों में आँसू आ जाने और सीता की थकान की वजह से पेड़ के नीचे बैठकर कुछ देर विश्राम करने का वर्णन किया गया है।

दुर्गम रास्तों पर चलने से सीता परेशान क्यों हो गईं और उन्होंने क्या किया?
उत्तर: दुर्गम रास्तों में पड़े काँटों और पत्थरों के पैरों में चुभने से सीता जी को परेशानी हो रही थी और बहुत ज्यादा गर्मी की वजह से उनका माथा पसीने से भीग गया था। वह बहुत थक चुकी थीं और विश्राम करना चाहती थीं। सीता जी ने राम से पर्णकुटी बनाने के बारे में पूछा था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे?
उत्तर: राम जी से अपनी धर्मपत्नी की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी। सीता जी का प्यास के मारे बुरा हाल था, प्यास के कारण उनके कंठ सूख गए थे और लक्ष्मण भी पानी की तलाश में गए हुए थे। जब तक लक्ष्मण लौटकर आते, तब तक राम जी सीता जी की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे, इसलिए राम बैठकर सीता जी के पैरों से काँटे निकालते रहे।

सवैया के आधार पर बताइए कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ?
उत्तर: सीता जी का जीवन उनका बचपन राजमहलों की सुख-सुविधाओं में व्यतीत हुआ था। उन्हें कभी इस प्रकार के जीवन यापन के बारे में पता भी नहीं था। अतः वन मार्ग पर प्रस्थान करने का उनका यह पहला अवसर था, इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण सीता दो कदम चलते ही पसीने से लथपथ हो गईं और वे काफी थक गईं थीं।

दिए गए सवैया का सारांश लिखिए।
उत्तर: यह सवैया तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस से लिया गया है। राम जी को मिले चौदह वर्षों के वनवास के समय घर से निकलते समय की स्थिति का वर्णन किया गया है। कवि कहता है कि बहुत धैर्य धारण करके सीता जी वन के मार्ग पर निकलीं, मगर दो कदम चलने के बाद ही उनके माथे से पसीना निकलने लगा और व्याकुल सीता जी ने राम जी से कहा कि अभी कितनी दूर और चलना है और कुटिया कहाँ बनाएंगे? यह देख राम जी की आँखों से आँसू बहने लगे। सीता जी ने राम जी से कहा कि लक्ष्मण जो जल लाने गए हैं, वह बालक ही हैं, उन्हें समय लगेगा। सीता जी राम जी से कहती हैं कि आप छाया में प्रतीक्षा क्यों नहीं कर लेते, तब तक मैं आपके चरणों के काँटे निकाल देती हूँ। राम जी का यह प्रेम देख सीता जी प्रसन्न हो जाती हैं।

अपनी कल्पना से वन के मार्ग का वर्णन करें।
उत्तर: वन का मार्ग बहुत ही दुर्गम था और चारों ओर घने और ऊँचे पेड़ थे, कँटीली झाड़ियाँ थीं और रास्ता उबड़-खाबड़ था, जिस पर चलना बहुत मुश्किल था। पानी और खाने-पीने के लिए भी तलाश करनी पड़ती थी। जंगली जानवरों से भी खतरा था और कुल मिलाकर, यह मार्ग असुरक्षित था।

सवैये में ‘धरि धीर दए’ किसके संदर्भ में इस्तेमाल किया गया है और क्यों?
उत्तर: ‘धरि धीर दए’ का प्रयोग सीता जी के संदर्भ में किया गया है। सीता जी वन के मार्ग पर अग्रसर होते हुए राम का साथ देते हुए, तकलीफों को सहते हुए, मन-ही-मन धीरज बँधाकर बड़े ही धैर्य के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही थीं। यह पंक्ति उनके अटल निश्चय और धैर्य का परिचायक है।

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