Extra Questions Class 6 Hindi Vasant पाठ 14 लोकगीत

Extra Questions

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि के गीतों को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर: गढ़वाल, किन्नौर, काँगड़ा आदि जगह के गीतों को ‘पहाड़ी’ के नाम से जाना जाता है।

बंगाल के लोकगीत के नाम लिखिए।
उत्तर: बाउल और भतियाल बंगाल के लोक-गीत हैं।

लोकगीत गाने वाले एक दल में प्रायः कितने लोग होते हैं?
उत्तर: लोकगीत गाने वाले एक दल में दस, बीस या तीस लोग होते हैं।

लोकगीत में प्राय: कौन-से बाजें बजाये जाते हैं?
उत्तर: लोकगीतों में प्राय: ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि बाजें बजाये जाते हैं।

लोकगीत किसे कहते हैं?
उत्तर: गाँव में गाये जाने वाले गीतों को लोक-गीत कहते हैं। हर कस्बे का एक अपना लोक-गीत होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

पूरब की बोलियों में किस विद्यापति के गीत गाये जाते हैं?
उत्तर: पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल-कोकिल विद्यापति के गीत गाये जाते हैं। मैथिल कोकिल विद्यापति एक सुप्रसिद्ध कवी और गायक थे।

ब्रज में कौन-से लोकगीत प्रचलन में हैं?
उत्तर: ब्रज में होली के मौके पर ‘रसिया’ का प्रचलन है जिसे कई दल मिलकर गाते हैं। रसिया एक प्रसिद्ध लोकगीत है जो की उत्तर प्रदेश के ब्रज इलाके में अधिकतर गाया जाता है।

राजस्थान और पंजाब के गीतों के नाम बताएँ।
उत्तर: ढोला-मारू आदि गीत राजस्थान में और हीर-राँझा, सोहनी-महीवाल आदि गीत पंजाब में बड़े चाव से गाये जाते हैं।

आल्हा-ऊदल के गाने को कहाँ गाया जाता है? और किसने इसे अपने महाकाव्य में बताया है?
उत्तर: आल्हा-ऊदल के गाने को बुंदेलखंड में गाया जाता है और इसको चंदेल राजाओं ने अपने महाकाव्य में वीरता के रूप में बताया है।

देहात में गाये जाने वाले कौन से गाने सीधे मर्म को छू लेते हैं?
उत्तर: देहात में गाये जाने वाले लोक-गीत जिनके रचनाकार और गायक गाँव से ही होते हैं, वह ही सीधे मर्म को छू लेते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

गरबा कहाँ की लोकगीत है? और गाने की विधि पर टिपण्णी करें।
उत्तर: गरबा मूलतः गुजरात की लोकगीत है परन्तु धीरे धीरे गरबा का प्रचलन पुरे देश में हो रहा है। गरबा में सभी घूमकर गाते हैं और उसी गाने पे नृत्य भी करते हैं और साथ में डांडिया भी बजाते हैं। डांडिया इसमें बाजे का काम करती हैं। धीरे-धीरे ये सारे प्रांतों में लोकप्रिय होने लगा है।

शादी में गाये जाने वाले गीतों पर संक्षिप्त टिपण्णी करें।
उत्तर: भारत में अलग-अलग जगहों पर शादियों में गाये जाने वाले गीत जैसे सम्बन्धी के लिए प्रेमयुक्त गाली, विवाह के, मटकोड़, ज्यौनार के अवसरों पर स्त्रियाँ ढोलक और झाँझ के साथ नाच-नाच कर गाती हैं। हालांकि जगह बदलने के साथ इन गानों के बोल भी बदल जाते हैं।

स्त्रियों का लोकगीतों से सीधा जुड़ाव कैसे है?
उत्तर: भारत के विभिन्न राज्यों में अपने-अपने विद्यापति हैं। जो वहाँ की परिस्थिति, भाषा और रहन-सहन के हिसाब से गाना लिखते हैं। स्त्रियाँ चूँकि शादी, त्योहारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। इसलिए वहाँ की लोकगीतों से सीधे जुड़ी हुई होती हैं।

लोकगीत ज्यादा मार्मिक कैसे हैं?
उत्तर: लोक-गीत भाषा, परिस्थिति और रहन-सहन के हिसाब से लिखा जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों के अपने-अपने विद्यापति हैं। इसकी वजह से गानों के बोल लोगों के दिलों के करीब होते हैं। गीत की भाषा और वहाँ की भाषा एक ही होने की वजह से लोगों को लोक-गीत, शास्त्रिय संगीत से अधिक प्रिय और मार्मिक लगती है।

शास्त्रीय संगीत से लोकगीत कैसे भिन्न है?
उत्तर: शास्त्रीय संगीत को ही ‘क्लासिकल म्यूजिक’ भी कहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत या मार्ग, भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है। शास्त्रीय गायन ध्वनि-प्रधान होता है, शब्द-प्रधान नहीं। जबकि लोक-गीत शब्द-प्रधान होता है, ध्वनि-प्रधान नहीं होता है। इसलिए लोक-गीत लोगों को ज्यादा समझ में आता है और मार्मिक लगता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

निबन्ध के लेखक, भगवतशरण उपाध्याय का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
उत्तर: भगवतशरण उपाध्याय जी का जन्म 1910 ई० को उजियारपुर, जिला- बलिया (उ०प्र०) में हुआ था। उपाध्याय जी ने हिंदी साहित्य, इतिहास, संस्कृत एवम् पुरातत्व का गहन अध्यन किया था। इनकी भाषा शैली तत्सम शब्दों से युक्त साहित्यिक खड़ीबोली है। इन्होंने भावुकतापूर्ण, विवेचनात्मक और चित्रात्मक भाषा का प्रयोग किया है तथा कहीं-कहीं रेखाचित्र शैली का प्रयोग किया है। इनकी रचनाओं में कालिदास का भारत, विश्व साहित्य की रूपरेखा, ठूँठा आम, कादम्बरी, बुद्ध वैभव, सागर की लहरों पर, साहित्य और कला आदि हैं। भगवतशरण उपाध्याय जी का निधन 12 अगस्त 1982 ई० को हुआ।

‘बिदेसिया’ के बारे में संक्षिप्त टिप्पड़ी करें।
उत्तर: ‘बिदेसिया’ करीब तीस-चालीस वर्षों से प्रचलन में है। इसको गाने वाले अनेक समूह देहाती हिस्सों में घूमते-फिरते रहते हैं। बिहार के विभिन्न जिलों में ‘बिदेसिया’ से बढ़कर कोई भी गाना लोकप्रिय नहीं है। ये गीत अक्सर विरह और करुणा को समेटे हुए होते हैं और इसमें रसिक और प्रियाओं की बात अधिकतर रहती है।

बुंदेलखंडी गीतों के बारे में निबन्ध में क्या बताया गया है?
उत्तर: बुंदेलखंड में आल्हा के गाने बड़े लोकप्रिय हैं। ये बुंदेलखंडी भाषा में गाये जाते हैं। इसका आरम्भ राजकवि जगनिक ने किया था, जो बुंदेल राजाओं के राजकवि थे। जगनिक ने आल्हा-ऊदल के वीरता का बखान अपने महाकाव्य में किया है। जिसे समय-समय पर देहाती कवियों ने अपने ढंग से गाया और इन गीतों को जिंदा रखा। आज भी यह गाने बहुत प्रेम से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के इतिहास और तत्काल प्रचलन पर अपना वक्तव्य दें।
उत्तर: लोक-गीत रीति-रिवाजों, प्राचीन परम्पराओं, धार्मिक तथा सामाजिक जीवन और संस्कृति को व्यक्त करते हैं। लोक-गीतों में संस्कार गीत, ऋतु-सम्बन्धी गीत और जातीय गीत मुख्य रूप से आते हैं। ये गीत अवधी और भोजपुरी में अधिक प्रचलित है, जबकि दूसरे क्षेत्रों में बहुत कम पाये जाते हैं। इन दोनों क्षेत्रों में इन्हें कजली कहा जाता है। संस्कार के गीतों में सोहर (जन्मगीत), मुंडन, जनेऊ के गीत और विवाह के गीत प्राय: सभी स्थानों में गाये जाते हैं। हालांकि समय के साथ शास्त्रीय संगीत और आधुनिक गीतों ने इसकी जगह के लिए है। लोक-गीतों का प्रचलन अब धीरे-धीर कम होता जा रहा है।

लोकगीतों का आज भी समाज से जुड़ाव कैसे है? विभिन्न राज्यों के लोकगीतों के नाम लिखिए।
उत्तर: लोक-गीत चूँकि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग थे, अलग-अलग विद्यापति थे, अलग भाषायें थी जो कि इसको आजतक जिंदा रखती हैं। लोगों ने इसको अपनी विरासत समझकर सुरक्षित रखा है। आनंददायक और मजाकिया अंदाज होने की वजह से इसके राग इतने आकर्षक होते हैं, साथ ही साथ इसकी समझी जाने वाली भाषा इसकी सफलता का कारण है। ये गानें स्त्रियाँ ज्यादा पसंद करती हैं और गाती हैं, स्त्रियों की जिंदगी में ज्यादा बदलाव ना आना भी इसके सुरक्षित रहने का एक पहलू है। विभिन्न राज्यों के लोकगीत गुजरात- गरबा, बिहार- बिदेशिया, राजस्थान- ढोल-मारू, उत्तर प्रदेश- कजरी आदि हैं।

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