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Paragraph Based Questions Class 6 Hindi Vasant पाठ 8 ऐसे-ऐसे

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाज़ा सड़कवाले बरामदे में खुलता है, दूसरा अंदर के कमरे में, तीसरा रसोईघर में। आलमारियों में पुस्तकें लगी हैं। एक ओर रेडियो का सेट है। दो ओर दो छोटे तख्त हैं, जिन पर गलीचे बिछे हैं। बीच में कुरसियाँ हैं। एक छोटी मेज़ भी है। उस पर फ़ोन रखा है। परदा उठने पर मोहन एक तख्त पर लेटा है। आठ-नौ वर्ष के लगभग उम्र होगी उसकी। तीसरी क्लास में पढ़ता है। इस समय बड़ा बेचैन जान पड़ता है। बार-बार पेट को पकड़ता है। उसके माता-पिता

पास बैठे हैं।

i. ऐसे ऐसे नामक एकांकी में कहां का दृश्य है?

(क) मेला का

(ख) युद्ध भूमि का

(ग) दुकान का

(घ) सड़क किनारे स्थित एक सुंदर फ्लैट का

उत्तर: (घ) सड़क किनारे स्थित एक सुंदर फ्लैट का

ii.फ्लैट में कितने दरवाजे हैं

(क) 2

(ख) 3

(ग) 4

(घ) 5

उत्तर: (ख) 3

iii. मोहन कितने साल का है?

(क) 11

(ख) 8

(ग) 10

(घ) 7

उत्तर: (ख) 8

iv. मोहन के पास कौन बैठा है?

(क) वैद्य

(ख) मोहन के पिता जी

(ग) मोहन के मास्टर जी

(घ) डॉक्टर

उत्तर: (ख) मोहन के पिता जी

माँ : (पुचकारकर) न-न, ऐसे मत कर! अभी ठीक हुआ जाता है। अभी डॉक्टर को बुलाया है। ले, तब तक सेंक ले। (चादर हटाकर पेट पर बोतल रखती। फिर मोहन के पिता की ओर मुड़ती है।) इसने कहीं कुछ अंट-शंट तो नहीं खा लिया?

पिता : कहाँ? कुछ भी नहीं। सिर्फ़ एक केला और एक संतरा खाया था। अरे, यह तो दफ़्तर से चलने तक कूदता फिर रहा था। बस अड्डे पर आकर यकायक बोला- पिता जी, मेरे पेट में तो कुछ ‘ऐसे-ऐसे ‘ हो रहा है।

माँ : कैसे?

पिता : बस ‘ऐसे-ऐसे’ करता रहा। मैंने कहा – अरे, गड़गड़ होती है? तो बोला – नहीं।

फिर पूछा -चाकू-सा चुभता है? तो जवाब दिया – नहीं। गोला-सा फूटता है? तो बोला-नहीं। जो पूछा उसका जवाब- नहीं। बस एक ही रट लगाता रहा, कुछ ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

माँ : (हँसकर) हँसी की हँसी, दुख का दुख, यह ‘ऐसे-ऐसे’ क्या होता है? कोई नयी बीमारी तो नहीं? बेचारे का मुँह कैसे उतर गया है! हवाइयाँ उड़ रही हैं।

पिता : अजी, एकदम सफ़ेद पड़ गया था। खड़ा नहीं रहा गया। बस में भी नाचता रहा – मेरे पेट में “ऐसे-ऐसे ‘ होता है। ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

i. मोहन ने अपने पिताजी के ऑफिस में किस का सेवन किया था?

(क) फल का

(ख) समोसे का

(ग) जलेबी का

(घ) रसगुल्ले का

उत्तर: (क) फल का

ii. ऊपर दिए गए गद्यांश में किसकी हवाइयां उड़ रही हैं?

(क) मोहन की माता की

(ख) वैद्य की 

(ग) डॉक्टर की

(घ) मोहन की

उत्तर: (घ) मोहन की

iii.  मोहन के पेट में बोतल कौन रखता है?

(क) माता जी

(ख) पिता जी

(ग) वैद्य 

(घ) डॉक्टर

उत्तर: (क) माता जी

iv. कौन सफेद पड़ गया?

(क) माता 

(ख) पिता

(ग) मोहन

(घ) पड़ोसी

उत्तर: (ग) मोहन

(डॉक्टर जाते हैं। मोहन के पिता दस का नोट लिए पीछे-पीछे जाते हैं और डॉक्टर साहब को देते हैं।)

माँ : सेंक तो दूँ, डॉक्टर साहब?

डॉक्टर : (दूर से) हाँ, गरम पानी की बोतल से सेंक दीजिए।

(डॉक्टर जाते हैं। माँ बोतल उठाती है। पड़ोसिन आती है।)

पड़ोसिन : क्‍यों मोहन की माँ, कैसा है मोहन?

माँ : आओ जी, रामू की काकी! कैसा क्या होता! लोचा-लोचा फिरे है। जाने वह “ऐसे-ऐसे ‘ दर्द क्या है, लड़के का बुरा हाल कर दिया।

पड़ोसिन : ना जी, इत्ती नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं। देख लेना, यह भी कोई नया दर्द होगा। राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया। नए-नए बुखार निकल आए हैं। वह बात है कि खाना-पीना तो रहा नहीं।

माँ : डॉक्टर कहता है कि बदहज़मी है। आज तो रोटी भी उनके साथ खाकर गया था। वहाँ भी कुछ नहीं खाया। आजकल तो बिना खाए बीमारी होती है।

(बाहर से आवाज़ आती है ‘मोहन! मोहन!’। फिर मास्टर जी का प्रवेश होता है।)

माँ : ओह, मोहन के मास्टर जी हैं। (पुकारकर) आ जाइए!

मास्टर : सुना है कि मोहन के पेट में कुछ ‘ऐसे-ऐसे ‘ हो रहा है! क्यों, भाई? (पास आकर) हाँ, चेहरा तो कुछ उतरा हुआ है। दादा, कल तो स्कूल जाना है। तुम्हारे बिना तो क्लास में रौनक ही नहीं रहेगी। क्‍यों माता जी, आपने क्या

खिला दिया था इसे?

माँ : खाया तो बेचारे ने कुछ नहीं।

मास्टर : तब शायद न खाने का दर्द है। समझ गया, उसी में ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

माँ : पर मास्टर जी, वैद्य और डॉक्टर तो दस्त की दवा भेजेंगे।

i. डॉक्टर को 10 की नोट कौन देता है?

(क) माता 

(ख) पिता

(ग) मोहन

(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं 

उत्तर: (ख) पिता

ii. “गरम पानी की बोतल से सेंक दीजिए” यह सलाह कौन देता है?

(क) मोहन की माता

(ख) वैद्य

(ग) मोहन के पिता

(घ) डॉक्टर

उत्तर: (घ) डॉक्टर

iii. डॉक्टर क्या बताता है?

(क) बदहजमी

(ख) कोलन कैंसर

(ग) एसिडिटी

(घ) कब्ज 

उत्तर: (क) बदहजमी

iv. मोहन के पेट की दर्द की वजह कौन समझ जाता है?

(क) पड़ोसी काकी 

(ख) डॉक्टर

(ग) वैद्य

(घ) मास्टर जी

उत्तर: (घ) मास्टर जी

मोहन : जी, सब नहीं हुआ।

मास्टर : हूँ! शायद सवाल रह गए हैं।

मोहन : जी!

मास्टर : तो यह बात है। ‘ऐसे-ऐसे’ काम न करने का डर हे।

माँ : (चौंक कर) क्या? 

(मोहन सहसा मुँह छिपा लेता है।)

मास्टर : (हँसकर) कुछ नहीं, माता जी, मोहन ने महीना भर मौज की। स्कूल का काम रह गया। आज खयाल आया। बस डर के मारे पेट में ‘ऐसे-ऐसे ‘ होने लगा – ‘ऐसे-ऐसे ‘! अच्छा, उठिए साहब! आपके ‘ऐसे-ऐसे’ की दवा मेरे पास है। स्कूल से आपको दो दिन की छुट्टी मिलेगी। आप उसमें काम पूरा करेंगे और आपका ‘ऐसे-ऐसे’ दूर भाग जाएगा।( मोहन उसी तरह मुँह छिपाए रहता है।) अब उठकर सवाल शुरू कीजिए। उठिए, खाना मिलेगा।

(मोहन उठता है। माँ ठगी-सी देखती है। दूसरी ओर से पिता और दीनानाथ दवा लेकर प्रवेश करते हैं।)

माँ : क्‍यों रे मोहन, तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है। हमारी तो जान निकल गई। पंद्रह-बीस रुपए खर्च हुए, सो अलग। (पिता से) देखा जी आपने!

पिता : (चकित होकर) क्या-क्या हुआ?

माँ : क्या-क्या होता! यह ‘ऐसे-ऐसे’ पेट का दर्द नहीं है, स्कूल का काम न करने का डर है।

पिता : हें! (दवा की शीशी हाथ से छूटकर फ़र्श पर गिर पड़ती है। एक क्षण सब ठगे-से मोहन को देखते हैं। फिर हँस पड़ते हैं।)

दीनानाथ : वाह, मोहन, वाह!

पिता : वाह, बेटा जी, वाह! तुमने तो खूब छकाया!

(एक अट्टहास के बाद परदा गिर जाता है।)

i. ऊपर दिए गए गद्यांश में सहसा कौन मुंह छुपा लेता है?

(क) मोहन

(ख) मोहन के माता पिता

(ग) वैद्य

(घ) मास्टर जी

उत्तर: (क) मोहन

ii. ऊपर दिए गए गद्यांश में मोहन सहसा मुंह क्यों छुपा लेता है?

(क) मास्टर जी द्वारा रहस्योद्घाटन करने पर

(ख) माता जी के डांटने से

(ग) पिता जी के मारने से

(घ) डॉक्टर के इंजेक्शन को देखकर

उत्तर: (क) मास्टर जी द्वारा रहस्योद्घाटन करने पर

iii. मास्टर जी मोहन के पेट दर्द की क्या वजह बताते हैं?

(क) होमवर्क न करना पड़े

(ख) स्कूल ना जाना पड़े

(ग) हरी फल और सब्जियां न खानी पड़े

(घ) माता-पिता का घर के कामों में हाथ न बटाना पड़े

उत्तर: (क) होमवर्क न करना पड़े

iv. मास्टर जी द्वारा पेट दर्द के रहस्य का उद्घाटन करने पर माता-पिता की क्या प्रतिक्रिया रहती है?

(क) दोनों गुस्सा होते हैं

(ख) दोनो हतप्रभ रह जाते हैं

(ग) दोनों मोहन को मारते हैं

(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (ख) दोनो हतप्रभ रह जाते हैं

माँ : (हंसकर) हँसी की हँसी, दुख का दुख, यह ‘ऐसे-ऐसे’ क्या होता है? कोई नयी बीमारी तो नहीं? बेचारे का मुँह कैसे उतर गया है! हवाइयाँ उड़ रही हैं।

पिता : अजी, एकदम सफ़ेद पड़ गया था। खड़ा नहीं पका रहा गया। बस में भी नाचता रहा – मेरे पेट में  “ऐसे-ऐसे ‘ होता है। ‘ऐसे-ऐसे’ होता है।

मोहन : (ज़ोर से कराहकर) माँ! ओ माँ!

माँ : न-न मेरे बेटे, मेरे लाल, ऐसे नहीं।

अजी, ज़रा देखना, डॉक्टर क्‍यों नहीं आया! इसे तो कुछ ज़्यादा ही तकलीफ़ जान पड़ती है। यह  “ऐसे-ऐसे’ तो कोई बड़ी खराब  बीमारी है। देखो न, कैसे लोट रहा है! ज़रा भी कल नहीं पड़ती। हींग, चूरन, पिपरमेंट-सब दे चुकी हूँ। वैद्य जी आ जाते!

(तभी फ़ोन की घंटी बजती है। मोहन के पिता उठाते हैं।)

पिता : यह 43332 है। जी, जी हाँ। बोल रहा हूँ…कौन? डॉक्टर साहब! जी हाँ, मोहन के पेट में दर्द है…जी नहीं, खाया तो कुछ नहीं. 

i. मोहन की बीमारी सुनकर कौन हंस पड़ता है?

(क) मोहन की मां

(ख) मोहन के पिता

(ग) वैद्य

(घ) डॉक्टर

उत्तर: (क) मोहन की मां

ii. निम्नलिखित में से किसकी चेहरे की हवाइयां उड़ रही थी?

(क) मोहन के

(ख) मोहन के पिता के

(ग) वैद्य के

(घ) डॉक्टर के

उत्तर: (क) मोहन के

iii. निम्नलिखित में से कौन एकदम सफेद पड़ गया है?

(क) मोहन की मां

(ख) मोहन 

(ग) वैद्य

(घ) डॉक्टर

उत्तर: (ख) मोहन 

iv. मोहन की मां निम्नलिखित में से कौन सी दवा मोहन को देती हैं?

(क) पिपरमिंट

(ख) जीरा

(ग) मेथी

(घ) काला नमक 

उत्तर: (क) पिपरमिंट

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