लोकोक्तियां (lokoktiyan)

लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं?

लोकोक्ति को कहावतें भी कहते हैं। कहावतें कही हुई बातों के समर्थन में होती है। महापुरुषों, कवियों व संतों के कहे हुए ऐसे कथन जो स्वतंत्र और आम बोलचाल की भाषा में कहे गए हैं जिसमें उनका भाव निहित होता है तो ये लोकोक्तियाँ कहलाती है। प्रत्येक लोकोक्ति के पीछे कोई न कोई घटना व कहानी होती है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरा पूर्णतः स्वतंत्र नहीं होता है, अकेले मुहावरे से वाक्य पूरा नहीं होता है। लोकोक्ति पूरे वाक्य का निर्माण करने में समर्थ होती है। मुहावरा भाषा में चमत्कार उत्पन्न करता है जबकि लोकोक्ति उसमें स्थिरता लाती है। मुहावरा छोटा होता है जबकि लोकोक्ति बड़ी और भावपूर्ण होती है।

लोकोक्तियाँ एवं कहावतें

  • बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा
    अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
  • बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे
    अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
  • बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया
    अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
  • बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़
    अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
  • बाप से बैर, पूत से सगाई
    अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
  • बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव
    अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
  • बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं
    अर्थः
    एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
  • बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता
    अर्थः
    काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
  • बासी बचे न कुत्ता खाय
    अर्थः
    जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
  • बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप
    अर्थः
    जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।

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