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CBSE कक्षा 11 राजनीतिक विज्ञान नोट्स अध्याय 5: विधायिका

  1. विधायिका का परिचय
    विधायिका सरकार के तीन प्रमुख अंगों में से एक है, अन्य दो अंगों में कार्यपालिका और न्यायपालिका आते हैं। इसका मुख्य कार्य कानून बनाना, संशोधित करना और निरस्त करना है। भारत में विधायिका द्व chambers प्रणाली (bicameral system) में है, अर्थात इसमें दो सदन होते हैं: लोकसभा (लोक के प्रतिनिधि) और राज्यसभा (राज्यों का प्रतिनिधि मंडल)।

विधायिका लोकतंत्र के कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह लोगों का प्रतिनिधित्व करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सरकार उत्तरदायी है।

  1. भारत में द्व chambers विधायिका
    भारत में विधायिका द्व chambers प्रणाली (bicameral legislature) है, अर्थात इसमें दो सदन होते हैं:
  1. लोकसभा (लोक के प्रतिनिधि)
    i. संरचना
    कुल सदस्य संख्या: लोकसभा में अधिकतम 552 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें 530 सदस्य राज्यों से, 20 सदस्य संघ क्षेत्रों से और 2 सदस्य एंग्लो-इंडियन समुदाय से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं (हालांकि यह प्रावधान 104वें संविधान संशोधन, 2019 के माध्यम से हटा दिया गया है)।
    सदस्य सीधे भारत की जनता द्वारा आम चुनावों के माध्यम से चुने जाते हैं, जो हर पांच साल में होते हैं।

ii. लोकसभा के अधिकार और कार्य

iii. लोकसभा में नेतृत्व

iv. सत्र और बैठकें
लोकसभा में सामान्य रूप से तीन सत्र होते हैं:

राष्ट्रपति लोकसभा को आहूत करता है, स्थगित करता है और इसे भंग भी कर सकता है।

  1. राज्यसभा (राज्यों का प्रतिनिधि मंडल)
    i. संरचना
    राज्यसभा संसद का उच्च सदन है, जिसमें कुल 250 सदस्य होते हैं (हालांकि संख्या में परिवर्तन हो सकता है):

ii. राज्यसभा के अधिकार और कार्य

iii. राज्यसभा में नेतृत्व

  1. विधायिका की भूमिका कानून बनाने में
    विधायिका का मुख्य कार्य कानून बनाना है। कानून बनाने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं:
  1. विधायिका से संबंधित महत्वपूर्ण संविधानों प्रावधान
  1. विधायी प्रक्रियाएँ
  1. विधायिका और अन्य अंगों के बीच संबंध
    i. विधायिका और कार्यपालिका
    कार्यपालिका विधायिका से निकाली जाती है, खासकर मंत्रिमंडल (प्रधानमंत्री द्वारा नेतृत्व किया जाता है), जो कानून बनाने और उन्हें लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है।
    विधायिका कार्यपालिका को सवाल, चर्चा और असंतोष प्रस्तावों के माध्यम से उत्तरदायी बनाती है।

ii. विधायिका और न्यायपालिका
न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून संविधान के अनुरूप हों।
न्यायिक समीक्षा की प्रक्रिया विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों की संविधानिकता की जांच करने की अनुमति देती है।

  1. निष्कर्ष
    विधायिका लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह कानून बनाती है, कार्यपालिका को नियंत्रित करती है और लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है। भारत में द्व chambers प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि राज्य और जनता दोनों का विधायी प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व हो। बहस, चर्चा और मतदान जैसे तंत्रों के माध्यम से, विधायिका यह सुनिश्चित करती है कि देश के कानून जनता की इच्छाओं को प्रतिबिंबित करते हैं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करते हैं।

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