संक्षिप्त प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
प्रश्न 2: महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किस सिद्धांत का उपयोग किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांत का उपयोग किया।
प्रश्न 3: सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ कब हुआ?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ 1930 में हुआ।
प्रश्न 4: जालियांवाला बाग हत्याकांड का क्या महत्व था?
उत्तर:
जालियांवाला बाग हत्याकांड ने भारतीयों में ब्रिटिश सरकार के प्रति गहरी नफरत और असंतोष को जन्म दिया और स्वतंत्रता संग्राम को तेजी से बढ़ावा दिया।
प्रश्न 5: क्या कारण थे कि भारतीय नेताओं ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया?
उत्तर:
भारतीय नेताओं ने साइमन कमीशन का बहिष्कार किया क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था और यह भारतीयों की भावनाओं की अनदेखी करता था।
प्रश्न 6: चौरी चौरा घटना का क्या प्रभाव था?
उत्तर:
चौरी चौरा घटना के कारण महात्मा गांधी ने गैर-कार्यवाही आंदोलन को वापस ले लिया, क्योंकि उन्होंने देखा कि आंदोलन हिंसक हो गया था।
प्रश्न 7: क्या थी खलीफत आंदोलन की मुख्य मांगें?
उत्तर:
खलीफत आंदोलन की मुख्य मांगें ओटोमन खलीफत के अधिकारों की रक्षा करना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को उठाना थीं।
प्रश्न 8: महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह क्या था?
उत्तर:
नमक सत्याग्रह 1930 में शुरू हुआ था, जब गांधी ने ब्रिटिश नमक कानूनों के खिलाफ विद्रोह किया, जिसमें उन्होंने दांडी तक मार्च किया और समुद्र के पानी से नमक बनाया।
प्रश्न 9: किसने ‘सर्वेंट ऑफ़ इंडिया’ शब्द का प्रयोग किया था?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने ‘सर्वेंट ऑफ़ इंडिया’ शब्द का प्रयोग किया था, जिसमें उन्होंने भारत के लोगों की सेवा करने का संकल्प व्यक्त किया।
प्रश्न 10: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अराजनीतिक चरणों में कौन-कौन से नेता प्रमुख थे?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अराजनीतिक चरणों में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, ए.ओ. ह्यूम, और बिपिन चंद्र पाल प्रमुख नेता थे।
लंबे प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: भारत में राष्ट्रवाद के विकास में कौन-कौन से प्रमुख घटनाएँ थीं?
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में कई प्रमुख घटनाएँ शामिल हैं, जैसे:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885): इसकी स्थापना ने राजनीतिक चर्चाओं का एक मंच प्रदान किया।
- बंगाल का विभाजन (1905): इसने विरोध और स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया।
- साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ विद्रोह: रौलेट एक्ट (1919) और जालियांवाला बाग हत्याकांड ने लोगों में गुस्सा फैलाया।
- गांधी का नेतृत्व: गांधीजी के सत्याग्रह और असहमति के आंदोलनों ने व्यापक जनसमर्थन जुटाया।
- खिलाफत आंदोलन: इसने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 2: महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए महत्वपूर्ण आंदोलनों का वर्णन करें।
उत्तर:
महात्मा गांधी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए:
- असहयोग आंदोलन (1920): यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ असहयोग की भावना को फैलाने के लिए था।
- सॉल्ट मार्च (1930): गांधीजी ने दांडी मार्च करके नमक कानून का उल्लंघन किया, जो ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था।
- क्विट इंडिया आंदोलन (1942): इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता की तीव्र मांग को आवाज दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़ा जन आंदोलन शुरू किया।
प्रश्न 3: 1919 के रौलेट एक्ट का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1919 का रौलेट एक्ट भारत में राजनीतिक असंतोष और विरोध का कारण बना। इस कानून ने बिना किसी मुकदमे के गिरफ्तारी की अनुमति दी, जिससे भारतीयों में गहरी नाराजगी और असंतोष उत्पन्न हुआ। जालियांवाला बाग हत्याकांड ने इसे और बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता संग्राम में सक्रियता आई। यह घटना भारतीयों के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें स्वतंत्रता के प्रति और अधिक प्रेरित किया।
प्रश्न 4: महिलाओं की भूमिका भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कैसे महत्वपूर्ण थी?
उत्तर:
महिलाओं ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे प्रदर्शन, रैलियों और सत्याग्रह में सक्रिय रूप से शामिल हुईं। महिलाएं जैसे सरोजिनी नायडू और कमला नेहरू ने न केवल राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया, बल्कि सामाजिक सुधारों की भी वकालत की। उन्होंने अपने समुदायों को संगठित करने, राजनीतिक विचारधारा को फैलाने और स्वतंत्रता के लिए जन जागरूकता लाने में मदद की। महिलाओं की भागीदारी ने आंदोलन को नई ऊर्जा दी और पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती दी।
प्रश्न 5: खलीफत आंदोलन और इसके प्रभाव का विश्लेषण करें।
उत्तर:
खलीफत आंदोलन, जिसे 1920 में शुरू किया गया, ओटोमन साम्राज्य की रक्षा के लिए भारत के मुसलमानों का एक व्यापक आंदोलन था। इस आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया और महात्मा गांधी द्वारा इसका समर्थन किया गया, जिससे यह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। खलीफत आंदोलन ने न केवल भारतीय मुसलमानों की समस्याओं को उठाया, बल्कि इसे भारतीय स्वतंत्रता की ओर एक राजनीतिक प्लेटफार्म के रूप में भी देखा गया। इसके परिणामस्वरूप, यह आंदोलन भारत में राष्ट्रवादी चेतना को और मजबूत करने में सहायक रहा।
प्रश्न 6: सविनय अवज्ञा आंदोलन के उद्देश्यों और परिणामों पर चर्चा करें।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-1934) का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन करते हुए अहिंसक प्रतिरोध करना था। इसके अंतर्गत प्रमुख आंदोलन नमक कानून का उल्लंघन करना था। इसके परिणामस्वरूप:
- जन जागरूकता: लोगों में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ी और हजारों लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया।
- ब्रिटिश सरकार का विरोध: आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की वैधता को चुनौती दी और उनके खिलाफ विद्रोह को प्रेरित किया।
- गांधी-इरविन पैक्ट (1931): आंदोलन के दबाव के कारण, ब्रिटिश सरकार ने गांधीजी के साथ एक समझौता किया, जिसमें कुछ रियायतें दी गईं।
प्रश्न 7: विश्व युद्ध I का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव का मूल्यांकन करें।
उत्तर:
विश्व युद्ध I ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव डाला। युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन युद्ध के बाद, उन्हें अपने योगदान के बदले स्वायत्तता की उम्मीद थी। युद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, जिससे खाद्य संकट और महंगाई बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप लोगों में असंतोष और राजनीतिक जागरूकता बढ़ी। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने इस असंतोष का लाभ उठाया और स्वतंत्रता संग्राम को तेज किया।
प्रश्न 8: 1905 के बंगाल विभाजन का भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1905 के बंगाल विभाजन ने भारतीय राजनीति में कई प्रभाव डाले:
- स्वदेशी आंदोलन: विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन का जन्म हुआ, जिसने ब्रिटिश सामानों का बहिष्कार किया।
- हिंदू-मुस्लिम एकता: विभाजन ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए नई चुनौतियाँ पेश की, जिससे राष्ट्रीयता की भावना बढ़ी।
- राजनीतिक जागरूकता: इस घटना ने भारतीयों के बीच राजनीतिक जागरूकता और संगठित विरोध को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 9: सांस्कृतिक और धार्मिक आंदोलनों का राष्ट्रवाद पर प्रभाव का विश्लेषण करें।
उत्तर:
सांस्कृतिक और धार्मिक आंदोलनों ने भारतीय राष्ट्रवाद को कई तरीकों से प्रभावित किया:
- साझी पहचान: इन आंदोलनों ने विभिन्न समुदायों के बीच साझा पहचान और एकजुटता को बढ़ावा दिया।
- सामाजिक सुधार: धार्मिक नेताओं और सामाजिक सुधारकों ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे समाज में जागरूकता बढ़ी।
- राष्ट्रीयता का जागरण: ये आंदोलन भारत में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने में महत्वपूर्ण थे, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को बल मिला।
प्रश्न 10: गांधीजी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की दिशा में उठाए गए कदमों का मूल्यांकन करें।
उत्तर:
गांधीजी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की दिशा में उठाए गए कदम निम्नलिखित थे:
- असहयोग आंदोलन: यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जन समर्थन जुटाने में सफल रहा।
- साल्ट मार्च: यह एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कदम था, जिसने लोगों को प्रतिरोध में एकजुट किया।
- क्विट इंडिया आंदोलन: इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता की तत्काल मांग को उठाया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जनविद्रोह को प्रेरित किया।
गांधीजी का नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीयता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण था और उनके सिद्धांतों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक दिशा प्रदान की।
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