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CBSE कक्षा 9वीं राजनीति विज्ञान अतिरिक्त प्रश्न और उत्तर अध्याय 4 संस्थानों की कार्यप्रणाली

संक्षिप्त प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: सरकार के तीन मुख्य अंग कौन से हैं?
उत्तर:
सरकार के तीन मुख्य अंग हैं: विधानमंडल (Legislature), कार्यपालिका (Executive), और न्यायपालिका (Judiciary)।


प्रश्न 2: विधानमंडल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
विधानमंडल का कार्य कानून बनाना, जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करना और सरकार के कार्यों की निगरानी करना है।


प्रश्न 3: भारत में कार्यपालिका का प्रमुख कौन है?
उत्तर:
भारत में कार्यपालिका का प्रमुख राष्ट्रपति होता है।


प्रश्न 4: कार्यपालिका के कार्य क्या हैं?
उत्तर:
कार्यपालिका का कार्य कानूनों को लागू करना, नीतियाँ बनाना और देश का प्रशासन करना है।


प्रश्न 5: न्यायपालिका का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर:
न्यायपालिका का मुख्य कार्य कानूनों की व्याख्या करना, संविधान की रक्षा करना और न्याय सुनिश्चित करना है।


प्रश्न 6: उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर:
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं, जो मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों से परामर्श करते हैं।


प्रश्न 7: भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।


प्रश्न 8: चुनाव आयोग की भूमिका क्या है?
उत्तर:
चुनाव आयोग का कार्य देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है।


प्रश्न 9: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त कौन हैं?
उत्तर:
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग के प्रमुख होते हैं।


प्रश्न 10: नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) का महत्व क्या है?
उत्तर:
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) सरकार के खातों का लेखा परीक्षण करते हैं और वित्तीय उत्तरदायित्व सुनिश्चित करते हैं।


प्रश्न 11: लोकसभा का गठन क्या है?
उत्तर:
लोकसभा उन सदस्यों से बनी है जो सीधे चुनावों के माध्यम से जनता द्वारा चुने जाते हैं।


प्रश्न 12: लोकसभा की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर:
लोकसभा की अध्यक्षता स्पीकर करते हैं।


प्रश्न 13: राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर:
राज्यसभा के सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है।


प्रश्न 14: भारत में न्यायपालिका का प्रमुख कौन है?
उत्तर:
भारत में न्यायपालिका के प्रमुख मुख्य न्यायाधीश होते हैं।


प्रश्न 15: भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका क्या है?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय देश का सर्वोच्च न्यायालय है और इसका अधिकार संविधान की व्याख्या करने, अपीलों को सुनने और कानून का शासन सुनिश्चित करने का है।


लंबे प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: भारतीय संसद की संरचना और कार्यों का वर्णन करें, लोकसभा और राज्यसभा की भूमिका को विधायी प्रक्रिया में विशेष रूप से उजागर करें।
उत्तर:
भारतीय संसद दो सदनों में बाँटी जाती है: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों का परिषद)।

लोकसभा निचला सदन है और यह सीधे लोगों का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। यह विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जैसे विधेयकों का परिचय देना, सरकार के कार्यों की जांच करना, और कानून पारित करना।
राज्यसभा उच्च सदन है और यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें सदस्य राज्य विधानमंडलों द्वारा चुने जाते हैं और राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं।
यह एक सुधारक सदन के रूप में कार्य करता है, जो लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों की समीक्षा और संशोधन करता है और विविध हितों और विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करने का मंच प्रदान करता है।
लोकसभा और राज्यसभा मिलकर भारतीय संसदीय लोकतंत्र की रीढ़ बनते हैं, जो विधायी प्रक्रिया में लोगों और राज्यों दोनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करते हैं।


प्रश्न 2: भारत के राष्ट्रपति के शक्तियों और कार्यों का वर्णन करें, कार्यपालिका के कार्यों और संविधानिक ढांचे में उनकी भूमिका को विशेष रूप से समझाइए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति संविधानिक ढांचे में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जो कार्यपालिका के प्रमुख, राज्य के सांकेतिक प्रमुख, और संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्यों में प्रधानमंत्री की नियुक्ति, संसद का आह्वान और स्थगन, अध्यादेशों का promulgation, न्यायाधीशों की नियुक्ति, और क्षमा देने का अधिकार शामिल हैं।
हालांकि, अधिकांश शक्तियाँ मंत्रिमंडल की सलाह पर प्रयोग की जाती हैं, फिर भी कुछ विवेकाधीन शक्तियाँ उन्हें विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देती हैं।
राष्ट्रपति की भूमिका सरकार की स्थिरता और कार्यक्षमता बनाए रखने, कानून के शासन को बनाए रखने, और लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण है।


प्रश्न 3: भारत में मंत्रिपरिषद की संरचना और कार्यों को समझाइए, विशेष रूप से सरकार की नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में इसकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंत्रिपरिषद, जो प्रधानमंत्री द्वारा नेतृत्वित होती है, सरकार की कार्यकारी शाखा होती है और यह नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन, सरकारी विभागों का प्रशासन, और राष्ट्रपति को सलाह देने का कार्य करती है।
यह मंत्रियों से बनी होती है, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर नियुक्त किया जाता है, और ये सदस्य लोकसभा और राज्यसभा से होते हैं। मंत्रिपरिषद सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर काम करती है, जिसमें निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते हैं और सभी सदस्य सामूहिक रूप से जिम्मेदार होते हैं।
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से मंत्रिपरिषद शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, देश की विविध आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को संबोधित करती है और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।


प्रश्न 4: भारत में न्यायपालिका की भूमिका और महत्व का विश्लेषण करें, सर्वोच्च न्यायालय की संरचना और इसके कार्यों को कानून के शासन और मौलिक अधिकारों की रक्षा में विशेष रूप से समझाइए।
उत्तर:
भारत में न्यायपालिका, जिसकी प्रमुख भूमिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निभाई जाती है, कानून के शासन को बनाए रखने, मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और सभी नागरिकों के लिए न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए न्यायधीशों का पैनल होता है। इसके कार्यों में संविधान की व्याख्या करना, केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच विवादों का निपटारा करना और मौलिक अधिकारों को लागू करके व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की रक्षा करना शामिल है।
सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक भी होता है, जो सत्ता के पृथक्कीकरण, विधायी और कार्यपालिका की कार्यवाहियों की न्यायिक समीक्षा, और संविधानिक सिद्धांतों की सर्वोच्चता सुनिश्चित करता है।
इसके निर्णय मिसाल कायम करते हैं, सार्वजनिक नीति को आकार देते हैं और भारत की कानूनी प्रणाली और लोकतांत्रिक शासन की प्रगति में योगदान करते हैं।


प्रश्न 5: भारत में संघवाद की अवधारणा की व्याख्या करें, केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन को समझाएं और उनके बीच विवादों के समाधान के तंत्र की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में संघवाद की अवधारणा संविधान में निर्धारित केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के वितरण को संदर्भित करती है।
संविधान केंद्रीय सरकार के लिए संघ सूची, राज्य सरकारों के लिए राज्य सूची और दोनों के द्वारा साझा की जाने वाली शक्तियों के लिए समवर्ती सूची को परिभाषित करता है।
जबकि केंद्रीय सरकार को रक्षा, विदेशी मामले और मुद्रा जैसे मामलों पर अधिकार होता है, राज्य सरकारों को शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे मामलों में अधिकार प्राप्त होता है।
केंद्र और राज्यों के बीच विवादों को हल करने के लिए अंतरराज्यीय परिषद, वित्त आयोग और न्यायिक प्रणाली जैसी व्यवस्थाएँ हैं।
भारत में संघवाद राज्य की स्वायत्तता को सुनिश्चित करता है, क्षेत्रीय विविधता को बढ़ावा देता है और केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक शासन को प्रोत्साहित करता है।


प्रश्न 6: स्वतंत्र संस्थाओं जैसे चुनाव आयोग, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG), और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की भूमिका का मूल्यांकन करें, लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में उनके योगदान को समझाइए।
उत्तर:
स्वतंत्र संस्थाएँ लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा, शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और जवाबदेही बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का संचालन करता है, चुनावी प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखता है और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करता है।
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) सरकार के खातों का लेखा परीक्षण करते हैं, वित्तीय उत्तरदायित्व और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) मानवाधिकारों की सुरक्षा करता है, उल्लंघनों की जांच करता है और संवेदनशील समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है।
ये संस्थाएँ सरकारी कार्यों की निगरानी करती हैं, संविधान के तहत सरकार की कार्रवाइयों की समीक्षा करती हैं और लोगों के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करती हैं।


प्रश्न 7: सरकारी संस्थाओं के कार्य में नागरिक सेवकों की भूमिका का मूल्यांकन करें, उनकी जिम्मेदारियों, जवाबदेही और वे जिन चुनौतियों का सामना करते हैं, उनके बारे में समझाइए।
उत्तर:
नागरिक सेवक सरकारी संस्थाओं में कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वे प्रशासक, नीति सलाहकार और सरकारी नीतियों के कार्यान्वयनकर्ता के रूप में कार्य करते हैं।
उनकी जिम्मेदारियों में सरकारी निर्णयों का कार्यान्वयन, नीति निर्माताओं को निष्पक्ष सलाह देना और सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावी ढंग से डिलिवरी करना शामिल है।
नागरिक सेवक सरकार, संसद और अंततः नागरिकों के प्रति जवाबदेह होते हैं। हालांकि, उन्हें राजनीतिक हस्तक्षेप, नौकरशाही के जटिल नियमों और नैतिक दुविधाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
पेशेवरता बनाए रखना, कानून के शासन को बनाए रखना और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाना नागरिक सेवकों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे सरकारी संस्थाओं की सुचारू कार्यप्रणाली में योगदान कर सकें।


प्रश्न 8: स्थानीय सरकारी संस्थाओं जैसे पंचायतों और नगरपालिका परिषदों की भूमिका का मूल्यांकन करें, विकेंद्रीकृत शासन में उनके महत्व को समझाइए, विशेष रूप से जमीनी स्तर की लोकतंत्र और समुदाय के विकास में।
उत्तर:
स्थानीय सरकारी संस्थाएँ जैसे पंचायतें और नगरपालिका परिषदें विकेंद्रीकृत शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाती हैं और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देती हैं।
पंचायती राज संस्थाएँ गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर चुनी जाती हैं, जबकि नगरपालिका शहरी क्षेत्रों को नियंत्रित करती हैं।
इनका कार्य स्थानीय प्रशासन, योजना और विकास करना होता है, जिसमें जल आपूर्ति, स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था शामिल है।
स्थानीय सरकारी संस्थाएँ नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देती हैं, जवाबदेही बढ़ाती हैं और स्थानीय समुदायों की विशेष आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को संबोधित करती हैं।
वे समुदाय के विकास में योगदान करती हैं, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती हैं और जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक शासन को सुदृढ़ करती हैं।


प्रश्न 9: संविधानिक प्राधिकरण जैसे महाधिवक्ता और राज्य के महाधिवक्ता की भूमिका का मूल्यांकन करें, सरकार को कानूनी सलाह देने और न्यायालयों में उसके हितों का प्रतिनिधित्व करने में उनके योगदान को समझाइए।
उत्तर:
संविधानिक प्राधिकरण जैसे भारत के महाधिवक्ता और राज्य के महाधिवक्ता सरकार को कानूनी सलाह देने और न्यायालयों में राज्य के हितों का प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महाधिवक्ता भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं और संघ सरकार के मामलों में न्यायालयों में उसका प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह, राज्य का महाधिवक्ता राज्य सरकार के मामलों में न्यायालय में उसका प्रतिनिधित्व करता है और कानूनी सलाह देता है।
ये प्राधिकरण यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार की कार्रवाइयाँ संविधान के अनुरूप हों, कानून के शासन को बनाए रखें और राज्य के कानूनी अधिकारों की रक्षा करें।


प्रश्न 10: भारतीय संसद समितियों की भूमिका का मूल्यांकन करें, विशेष रूप से सरकार की नीतियों की जांच करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में उनके योगदान को समझाइए, और उनके लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करने में उनके महत्व को बताइए।
उत्तर:
भारतीय संसद समितियाँ सरकार की नीतियों की जांच, बजटीय आवंटनों का मूल्यांकन और कार्यकारी की जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इन समितियों का गठन लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्यों से होता है और ये विभिन्न मुद्दों की जाँच, पूछताछ करने और संसद में सिफारिशें प्रस्तुत करने का कार्य करती हैं।
ये समितियाँ द्विदलीय सहयोग, विशेषज्ञ विचार-विमर्श और सरकारी कार्यों की सार्वजनिक समीक्षा का मंच प्रदान करती हैं। संसद समितियाँ पारदर्शिता बढ़ाती हैं, विधायी निगरानी में मदद करती हैं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को सुदृढ़ करती हैं, क्योंकि वे सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाती हैं।

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