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CBSE Class 6 hindi Chapter चित्रकूट में भरत

चित्रकूट में भरत – सारांश

यह कथा भरत के चित्रकूट में राम से मिलने और उन्हें वापस लाने की कोशिश का विस्तृत वर्णन करती है। यह न केवल परिवार के बंधन और भाईचारे की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह कर्तव्य, निष्ठा और त्याग की भी महानता को उजागर करती है।

कथा का आरंभ

भरत का ननिहाल में होना:

अयोध्या से संदेश:

अयोध्या में प्रवेश

अयोध्या की स्थिति:

भरत का विलाप:

राम के पास जाना

राम की खोज:

कौशल्या के महल की ओर यात्रा:

मंथरा का प्रभाव:

यात्रा की तैयारी

मुनि वशिष्ठ की सलाह:

यात्रा का आरंभ:

चित्रकूट में भरत का सामना

निषादराज गुह का स्वागत:

राम की पर्णकुटी:

राम से वार्तालाप

भरत का प्रण:

खड़ाऊँ का महत्व:

निष्कर्ष

कथा “चित्रकूट में भरत” हमें यह सिखाती है कि कर्तव्य, निष्ठा और परिवार के प्रति प्रेम सर्वोपरि होना चाहिए। भरत का त्याग, राम के प्रति उनकी निष्ठा, और लक्ष्मण का समर्थन इस कथा को अद्वितीय बनाते हैं। यह जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों का एक अद्भुत उदाहरण है, जो आज भी प्रेरणा देता है।

शब्दार्थ

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