CBSE Class 6 hindi Chapter लंका में हनुमान

लंका में हनुमान – सारांश

“लंका में हनुमान” रामायण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें हनुमान की साहसिक यात्रा और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। यह कथा न केवल उनके अद्वितीय साहस को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि प्रेम और समर्पण के बल पर किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

जामवंत की प्रेरणा:

जामवंत, जो एक बुद्धिमान और अनुभवी वीर हैं, ने हनुमान को उनकी शक्तियों का अहसास कराया। उन्होंने हनुमान को याद दिलाया कि वह पवन देव के पुत्र हैं और उनके भीतर असीम शक्ति है। हनुमान ने पर्वत की चोटी से समुद्र की ओर देखा और अपने पिता को प्रणाम किया। यह क्षण हनुमान के साहस और श्रद्धा का प्रतीक है। फिर उन्होंने पर्वत पर झुककर एक शक्तिशाली छलांग लगाई, जिससे पर्वत के कुछ हिस्से टूटकर गिर गए और घाटी में हलचल मच गई।

समुद्र पार करना:

हनुमान ने समुद्र पार करते हुए अपनी अद्वितीय गति का प्रदर्शन किया। रास्ते में, उन्हें मैनाक पर्वत मिला, जो उन्हें विश्राम देना चाहता था। लेकिन हनुमान ने उसकी दया को अस्वीकार करते हुए उसे पार किया। इसके बाद, राक्षसी सुरसा का सामना हुआ, जिसने हनुमान को अपने मुँह में घुसने के लिए ललचाया। हनुमान ने अपनी चतुराई से सुरसा के मुँह में घुसकर बाहर निकल आए, जिससे उन्होंने अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया। फिर सिंहिका नाम की एक और राक्षसी ने हनुमान की परछाई को पकड़ लिया, लेकिन हनुमान ने उसे भी पराजित कर दिया।

सीता की खोज:

जब हनुमान लंका पहुँचे, तो उन्होंने उसे सुनहरे महलों और बाग-बगिचों के साथ एक भव्य नगरी के रूप में देखा। एक पहाड़ी पर खड़े होकर, उन्होंने लंका को बेहद सुंदर पाया। लेकिन दिन में प्रवेश करने के बजाय, उन्होंने शाम का इंतज़ार किया। शाम होते ही, हनुमान कूदते-फाँदते राजमहल में पहुँचे, परंतु वहाँ किसी भी कक्ष में सीता नहीं मिलीं। उन्होंने राक्षसों के घर और पशुशालाएँ देखीं, लेकिन निराश होकर अशोक वाटिका की ओर बढ़े।

अशोक वाटिका में सीता:

अशोक वाटिका में हनुमान ने देखा कि राक्षसियाँ सीता को घेरे हुए थीं। वहाँ, उन्होंने सीता को पहचान लिया, जो अत्यंत दुखी और परेशान थीं। हनुमान ने देखा कि रावण उन्हें अपनी रानी बनाने के लिए लालच दे रहा था, लेकिन सीता ने साहस के साथ रावण को जवाब दिया। उन्होंने रावण को कहा कि वह राम के पास पहुँचने की इच्छा रखती हैं और उसे अपने विनाश के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी।

हनुमान का परिचय:

रावण के जाने के बाद, हनुमान ने सीता के पास राम-कथा सुनाई। सीता ने पूछा कि वह कौन थे, और हनुमान ने नीचे आकर उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने राम की अंगूठी सीता को दी और बताया कि वह राम का दास हैं और सीता के समाचार लेने आए हैं। सीता ने राम का कुशल समाचार पूछा, और हनुमान ने उन्हें कंधे पर बैठाकर ले जाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन सीता ने कहा कि वह संदेश भेजने के लिए उचित होगा।

रावण का उपवन नष्ट करना:

सीता से विदा लेकर, हनुमान उत्तर दिशा की ओर लौटने लगे। लेकिन उन्होंने अचानक रावण के उपवन को नष्ट करने का निर्णय लिया। उन्होंने अशोक वाटिका के कई वृक्ष उखाड़ दिए और राक्षसों को मारना शुरू किया, यहाँ तक कि रावण के पुत्र अक्षकुमार को भी पराजित कर दिया। इस कार्य ने राक्षसों में आतंक फैला दिया।

रावण के दरबार में:

राक्षसों ने रावण को हनुमान के कृत्यों की सूचना दी। मेघनाद ने हनुमान को पकड़कर रावण के दरबार में लाया। जब रावण ने हनुमान से परिचय पूछा, तो उन्होंने बताया कि वह श्रीराम का दास हैं और सीता की खोज में आए हैं। रावण ने हनुमान को मारने का प्रयास किया, लेकिन विभीषण ने कहा कि दूत को मारना अनुचित है। अंततः, रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश दिया।

हनुमान की विद्रोह:

हनुमान ने आग लगने के बाद उछल-कूद करते हुए लंका में आतंक मचा दिया। उन्होंने अपनी शक्ति का भरपूर उपयोग किया और लंका के कई स्थानों को आग के हवाले कर दिया। यह उनकी साहसिकता और वीरता का प्रतीक था, जिसने रावण के साम्राज्य को हिला कर रख दिया।

वानरों को सूचना:

समुद्र पार लौटकर, हनुमान ने वानरों को लंका की घटना की जानकारी दी। यह जानकर सभी वानर खुशी से किलकारियाँ मारते हुए किष्किंधा पहुँचे। हनुमान ने सीता द्वारा दिया गया आभूषण राम को सौंपा और बताया कि सीता राम का इंतज़ार कर रही हैं।

युद्ध की योजना:

इसके बाद, युद्ध की तैयारियाँ शुरू हुईं। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर रणनीति बनाई। उन्होंने हनुमान, अंगद, जामवंत, नल, और नील की भूमिकाएँ तय कीं। यह महत्वपूर्ण बैठक दर्शाती है कि सहयोग और एकता से बड़े से बड़े संकट का सामना किया जा सकता है।

निष्कर्ष

हनुमान की यह यात्रा केवल सीता की खोज नहीं थी, बल्कि उनकी वीरता, भक्ति, और साहस का एक महाकाव्यात्मक प्रतीक थी। यह हमें सिखाती है कि प्रेम और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। हनुमान की कहानी न केवल रामायण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह जीवन में धैर्य, साहस, और मित्रता का महत्व भी उजागर करती है।

शब्दार्थ

  • शिखर: चोटी
  • निश्चल: स्थिर
  • दरक-दरार: टूटना
  • सदिच्छा: शुभकामना
  • पवनपुत्र: हनुमान
  • गंतव्य: लक्ष्य
  • प्राचीर: चारदीवारी
  • रंच: थोड़ा
  • सुवासित: सुगंधित
  • कक्ष: कमरा
  • आतुर: व्याकुल
  • अट्टहास: ठहाका लगाना
  • उद्यत: तैयार
  • जघन्य: घोर

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