लंका विजय – सारांश
“लंका विजय” रामायण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें राम और उनकी वानर सेना की लंका पर विजय प्राप्त करने की कथा वर्णित है। यह कथा साहस, बलिदान और मित्रता के भाव को उजागर करती है।
वानर सेना का प्रस्थान:
वानर सेना ने किष्किंधा से प्रस्थान किया, और समुद्र के किनारे महेंद्र पर्वत पर डेरा डाला। इस सेना का नेतृत्त्व नल कर रहे थे, जबकि सुग्रीव के सेनापति जामवंत और हनुमान सबसे पीछे थे। राम की शक्तियों की चर्चा से राक्षसों में भय व्याप्त हो गया। विभीषण ने रावण को सलाह दी कि उसे राम को सीता लौटाना चाहिए, अन्यथा उनकी हताशा के कारण राक्षसों की सेना युद्ध में प्रभावी नहीं रह सकेगी। रावण को विभीषण की बात पर क्रोध आ गया और उसने उन्हें शत्रु मानकर लंका से निकाल दिया।
विभीषण का राम की शरण में आना:
विभीषण उसी रात लंका छोड़कर अपने चार सेवकों के साथ समुद्र पार करके राम के शिविर में पहुँच गए। उन्होंने सुग्रीव से कहा कि वे रावण के छोटे भाई हैं और श्री राम की शरण में आए हैं। सुग्रीव ने उन्हें राम के पास ले जाकर उनका स्वागत किया। विभीषण ने रावण, लंका, और उसकी सेना की जानकारी दी, और राम ने उन्हें लंका की राजगद्दी देने का आश्वासन दिया।
समुद्र पर पुल का निर्माण:
राम की सेना के सामने एक बड़ी चुनौती समुद्र थी। समुद्र ने नल को आदेश दिया कि वे समुद्र पर पुल बनाएं। नल ने पाँच दिन में पुल का निर्माण किया, जिससे वानर सेना समुद्र पार कर लंका के किनारे पहुँची। यह खबर सुनकर रावण ने अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने के आदेश दिए।
लंका को घेरना:
राम ने अपनी सेना को चार भागों में बाँटकर लंका को घेरने का आदेश दिया। उन्होंने अंगद को भेजकर रावण से सुलह का अंतिम प्रयास किया, लेकिन रावण ने इसे ठुकरा दिया। इसके बाद भयानक युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें दोनों ओर से अनेक वीर योद्धा मारे गए।
मेघनाद का युद्ध:
मेघनाद ने रावण की ओर से युद्ध का मोर्चा संभाला। उसके बाण से राम और लक्ष्मण मूर्च्छित होकर गिर गए। मेघनाद ने सोचा कि वे मृत हैं और रावण को सूचना देने महल की ओर दौड़ गया। विभीषण के उपचार से राम और लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर हो गई।
कुम्भकर्ण का आगमन:
रावण की सेना में अनेक महाबली मारे गए। यह देखकर रावण ने खुद युद्ध का मोर्चा संभाला। राम के बाणों ने रावण का मुकुट गिरा दिया। रावण ने कुम्भकर्ण को जगाया, जिससे वानर सेना में खलबली मच गई। कुम्भकर्ण ने हनुमान और अंगद को घायल कर दिया, लेकिन राम और लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा कर कुम्भकर्ण को मार दिया। रावण निराश हो गया।
मेघनाद और लक्ष्मण का युद्ध:
मेघनाद ने रावण को संभाला और लक्ष्मण के साथ भीषण युद्ध हुआ। अंत में, लक्ष्मण ने मेघनाद को मार गिराया। अब रावण अकेला रह गया। उसने विभीषण पर निशाना साधा, लेकिन लक्ष्मण ने बाण को बीच में काट दिया। एक दूसरा बाण चलाया गया, लेकिन लक्ष्मण बीच में आ गए और अचेत हो गए।
लक्ष्मण का उपचार:
हनुमान ने संजीवनी बूटी लाने के लिए पर्वत की ओर दौड़ लगाई। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण का उपचार किया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के स्वस्थ होने की सूचना राम तक पहुँचाई।
राम और रावण का अंतिम युद्ध:
राम-रावण का युद्ध भयानक था। रावण का एक बाण राम को लगा, जिससे उनके रथ की ध्वजा गिर गई। राम ने प्रहार किया और उनका बाण रावण के मस्तक में लगा। रक्त की धारा बहने लगी, और रावण का धनुष छूटकर गिर गया। अंततः रावण पृथ्वी पर गिर पड़ा और मारा गया। राक्षस सेना भाग गई, और रणक्षेत्र में केवल विभीषण ही दु:खी था।
विभीषण का अभिषेक:
राम ने विभीषण को समझाया और उन्हें लंका का राजा बनाया। सीता को अशोक वाटिका से लाया गया। जब सीता आईं, तो सभी को उनकी सुंदरता और सौम्यता पर गर्व हुआ।
निष्कर्ष:
“लंका विजय” एक महाकाव्यात्मक घटना है जो साहस, मित्रता और भक्ति की गहराई को दर्शाती है। यह कथा हमें सिखाती है कि धैर्य और एकता से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। राम के नेतृत्व में वानर सेना ने न केवल लंका पर विजय प्राप्त की, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सत्य और धर्म की विजय निश्चित होती है।
शब्दार्थ:
- कूच: प्रस्थान
- अनभिज्ञ: अनजान
- शुभचिंतक: शुभ चाहने वाले
- विस्मय: हैरानी
- चौतरफा: चारों तरफ से
- वैभव: समृद्धि
- शस्त्रागार: जहाँ शस्त्र रखें जाते हैं
- तुमुलनाद: हर्षयुक्त ध्वनि
- अंत्येष्टि: मरने के बाद होने वाला क्रियाकर्म
- अंक-गोद: गोद में बैठाना
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