“जो देखकर भी नहीं देखते” – सारांश
हेलेन केलर का यह निबंध उनके अद्वितीय अनुभवों और विचारों को साझा करता है, जो उन्होंने अपनी दृष्टिहीनता और बधिरता के कारण सीखे हैं। चलिए इसे विस्तार से समझते हैं:
लेखिका का परिचय
हेलेन केलर एक प्रसिद्ध लेखिका और समाज सुधारक थीं, जो दृष्टिहीन और बधिर थीं। उनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है, और वे अपने अनुभवों के माध्यम से हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक अनुभव दृष्टि से कहीं अधिक गहरे होते हैं।
सहेली की सैर का अनुभव
लेखिका की सहेली हाल ही में जंगल की सैर पर गई थी। जब उसे पूछा गया कि उसने क्या देखा, तो उसने कहा कि उसने कुछ खास नहीं देखा। यह सुनकर हेलेन को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उनका कहना है कि लोगों की दृष्टि होते हुए भी वे अक्सर प्राकृतिक सौंदर्य को नहीं देख पाते। यह एक आम स्थिति है, जहाँ लोग अपने चारों ओर के वातावरण को अनदेखा कर देते हैं।
संवेदनाओं का अनुभव
हेलेन केलर ने अपने जीवन में जो कुछ भी अनुभव किया है, वह स्पर्श और अन्य संवेदनाओं के माध्यम से किया है। वे कई चीज़ों को छूकर और महसूस करके पहचानती हैं। उदाहरण के लिए:
- भोजपत्र की चिकनी छाल: यह उन्हें एक सुखद अनुभव देती है।
- चीड़ की खुरदरी छाल: इसके स्पर्श से उन्हें प्रकृति की विविधता का अनुभव होता है।
- वसंत में खिली कलियाँ: फूलों की पंखुड़ियों की मखमली सतह को छूकर उन्हें आनंद मिलता है।
- पानी का स्पर्श: अपने हाथों के बीच बहते पानी को महसूस करना उन्हें गहरी खुशी प्रदान करता है।
हेलेन यह महसूस करती हैं कि जब वे इन चीज़ों को छूकर इतनी खुशी महसूस कर सकती हैं, तो अगर वे इन्हें देख पातीं, तो संभवतः वे उसमें और भी गहराई में खो जातीं।
दृष्टिहीनता और संवेदनशीलता
लेखिका यह समझती हैं कि जिन लोगों की आँखें होती हैं, वे अक्सर बहुत कम देखते हैं। वे प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं और उनकी आंखें सिर्फ देखने का कार्य करती हैं, जबकि वे महसूस करने की कला को भूल जाते हैं। हेलेन यह बताती हैं कि जो चीज़ हमें नहीं मिलती, उसके प्रति हमारी लालसा बढ़ जाती है।
दृष्टि की कदर
हेलेन के अनुसार, दृष्टि को ईश्वर की एक महान देन समझकर भी लोग इसका सही उपयोग नहीं करते। वे इसे एक साधारण चीज़ मानते हैं, जबकि इसका सही उपयोग कर के जीवन को और भी खुशनुमा बनाया जा सकता है। यदि लोग अपनी दृष्टि का सही इस्तेमाल करें, तो उनके जीवन में खुशियों के इंद्रधनुषी रंग भर सकते हैं।
मनुष्य की मानसिकता
हेलेन का यह भी कहना है कि मनुष्य की मानसिकता ऐसी होती है कि जो चीज़ उसके पास होती है, उसे वो महत्व नहीं देता। उदाहरण के लिए, जब एक व्यक्ति अपनी आँखों से देखता है, तो वह अपने आस-पास की सुंदरता को अनदेखा कर देता है। इसके विपरीत, हेलेन अपनी स्थिति के कारण हर छोटी चीज़ को महत्व देती हैं।
कठिन शब्दों के अर्थ
- परखने – जाँचने, परीक्षण करने की क्रिया।
- अचरज – हैरानी, आश्चर्य।
- रोचक – जो अच्छा या आकर्षक लगे।
- समाँ – वातावरण, माहौल।
- मुग्ध – मोहित, आकर्षित होना।
- क्षमता – ताकत, शक्ति।
- कदर – पहचानना, महत्व देना।
- आस – उम्मीद, आशा।
- नियामत – ईश्वर की दी हुई चीज़, आशीर्वाद।
- इंद्रधनुषी रंग – विभिन्न प्रकार के रंग, विविधता।
निष्कर्ष
हेलेन केलर का यह निबंध हमें यह सिखाता है कि संवेदनाएँ और अनुभव जीवन में दृष्टि से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। हमें अपने आस-पास की चीज़ों को केवल देखने के बजाय उन्हें महसूस करने की कला विकसित करनी चाहिए। जीवन की असली सुंदरता हमारे अनुभवों में छिपी होती है, और इसे पहचानना आवश्यक है। इस निबंध के माध्यम से लेखिका हमें प्रेरित करती हैं कि हम अपनी आँखों और मन की गहराइयों से देख सकें और जीवन के हर क्षण का आनंद ले सकें।
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