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CBSE Class 7 English Chapter 5 Quality Summary

Summary of Chapter: Quality

The story Quality by John Galsworthy revolves around a German boot-maker, Mr. Gessler, who settled in London. He was known for making high-quality boots that lasted a long time. The narrator’s father used to get his boots made by Mr. Gessler, and the narrator himself also became a customer when he needed new shoes.

Mr. Gessler ran a small shop in a quiet street in London, with no signboard other than “Gessler Brothers.” He lived with his elder brother, who helped him run the business. The shop had a calm, church-like atmosphere, and Mr. Gessler treated boot-making as an art. He made every pair of boots with great care and precision and refused to let anyone else touch the boots during the process.

One day, the narrator asked Mr. Gessler if making such perfect boots was difficult. Mr. Gessler replied that boot-making was indeed an art, one that required passion and dedication. The narrator was impressed by Mr. Gessler’s pride in his work.

However, there was one occasion when the narrator had to complain about a pair of boots that creaked. Mr. Gessler was visibly upset by the complaint, took the boots back, and assured the narrator that if they were not fixed, he would refund the money. This reaction showed Mr. Gessler’s deep commitment to quality and customer satisfaction.

In another instance, the narrator visited Mr. Gessler’s shop while wearing a pair of boots he had bought from a large commercial firm. Mr. Gessler immediately noticed that they were not his work. The narrator explained that he had bought them in an emergency. Mr. Gessler commented that big firms were taking business away from craftsmen like him because they relied on advertisements and not on the quality of their products. He criticized large firms for having no “self-respect” as they lured customers with flashy advertisements instead of focusing on quality work.

The narrator, feeling sympathy for Mr. Gessler, ordered several pairs of boots. These boots were so well made that they lasted him for nearly two years, and because of this, the narrator didn’t return to Mr. Gessler’s shop for a long time.

When the narrator next visited the shop, Mr. Gessler appeared older and more worn out. He seemed tired, drained, and the narrator learned that his elder brother had died. Despite this, Mr. Gessler still worked hard and took the narrator’s order for more boots. The narrator was away for a long time after this and didn’t return to the shop until more than a year later.

When the narrator finally came back, he was shocked to see how much Mr. Gessler had aged in such a short period. Mr. Gessler looked as though he had aged by fifteen years. He could not recognize the narrator at first, but he still made the boots to perfection. The narrator was impressed with the boots, which were better than ever.

A week later, the narrator decided to visit Mr. Gessler again to thank him for the excellent boots. However, when he reached the shop, he noticed that the sign “Gessler Brothers” was gone. Inside, a young Englishman was running the shop. The narrator asked about Mr. Gessler, and the young man explained that Mr. Gessler had passed away.

The young man revealed that Mr. Gessler had worked himself to death. He had spent all his time making boots, working without eating enough or resting properly. Despite his hard work, he barely made enough money because all his earnings went into paying the rent and buying leather. The young man admired Mr. Gessler’s craftsmanship, noting that his boots were exceptional but lamenting that his dedication had been his downfall.

The story concludes with the narrator’s reflection on Mr. Gessler’s life, saying simply, “He made good boots.” This final line encapsulates Mr. Gessler’s life and legacy—his relentless devotion to his craft, even at the cost of his health and success.


Conclusion:

The story conveys the themes of dedication, craftsmanship, and the impact of commercialism on small artisans. Mr. Gessler represents the dying art of skilled craftsmanship in a world increasingly dominated by large firms that prioritize profits and advertising over quality. His downfall is a poignant commentary on how the modern business world fails to value true artistry and hard work.

Important Keywords and Meanings:
KeywordMeaning
Boot-makerA person who makes or repairs boots and shoes.
ArtIn this context, it refers to boot-making as a skill requiring craftsmanship.
AmbienceThe character or atmosphere of a place, here meaning the peaceful feel of the shop.
CreakingA sound made by old or poorly fitted shoes.
Self-respectPride in one’s own abilities and quality of work.
AdvertisementsPromoting products to attract customers, often by big firms.
DedicationStrong commitment to a task or purpose.
Commercial firmsLarge companies focused on selling many products, sometimes with less focus on quality.
DownfallA loss of success or collapse, referring to Mr. Gessler’s decline in business and health.

अध्याय का विस्तृत सारांश:

क्वालिटी कहानी, जॉन गाल्सवर्दी द्वारा लिखी गई है, जो एक जर्मन जूते बनाने वाले, श्री गेसलर के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। श्री गेसलर लंदन में बसे हुए थे और बहुत ही उच्च गुणवत्ता के जूते बनाते थे, जो लंबे समय तक टिकते थे। कहानीकार के पिता श्री गेसलर से जूते बनवाते थे, और जब भी उसे नए जूतों की आवश्यकता होती, वह भी श्री गेसलर के पास जाता था।

श्री गेसलर लंदन की एक शांत गली में एक छोटी सी दुकान चलाते थे, जिसमें “Gessler Brothers” के अलावा कोई अन्य साइनबोर्ड नहीं था। वह अपने बड़े भाई के साथ रहते थे, जो उनके व्यवसाय में मदद करते थे। उनकी दुकान में एक शांतिपूर्ण, चर्च जैसा वातावरण था, और श्री गेसलर जूते बनाने को एक कला मानते थे। वह हर जोड़ी जूतों को बहुत सावधानी और कुशलता से बनाते थे और किसी और को जूते छूने भी नहीं देते थे।

एक दिन, कहानीकार ने श्री गेसलर से पूछा कि क्या इतने सही जूते बनाना कठिन था। श्री गेसलर ने जवाब दिया कि जूते बनाना वास्तव में एक कला है, जिसके लिए जुनून और समर्पण की आवश्यकता होती है। कहानीकार उनके काम के प्रति गर्व से प्रभावित हुआ।

हालांकि, एक बार ऐसा हुआ कि कहानीकार को एक जोड़ी जूतों की शिकायत करनी पड़ी, जो आवाज कर रहे थे। श्री गेसलर इस शिकायत से आहत हुए, जूतों को वापस ले लिया, और आश्वासन दिया कि यदि उन्हें ठीक नहीं किया गया तो वह पैसे वापस कर देंगे। इससे पता चलता है कि श्री गेसलर गुणवत्ता और ग्राहक संतुष्टि के प्रति कितने समर्पित थे।

एक अन्य अवसर पर, कहानीकार श्री गेसलर की दुकान पर एक जोड़ी जूते पहनकर गया, जो उसने एक बड़ी फर्म से खरीदे थे। श्री गेसलर ने तुरंत देखा कि वे जूते उनके द्वारा नहीं बनाए गए थे। कहानीकार ने समझाया कि उसने वह जूते एक आपात स्थिति में खरीदे थे। इस पर, श्री गेसलर ने टिप्पणी की कि बड़ी फर्में शिल्पकारों से व्यापार छीन रही हैं क्योंकि वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता की बजाय विज्ञापनों पर निर्भर करती हैं। उन्होंने बड़ी फर्मों की आलोचना की कि उनके पास कोई “स्वाभिमान” नहीं है क्योंकि वे ग्राहकों को आकर्षक विज्ञापनों के माध्यम से आकर्षित करती हैं, न कि गुणवत्ता के काम के माध्यम से।

कहानीकार को श्री गेसलर के प्रति सहानुभूति हुई और उसने कई जोड़ी जूते का ऑर्डर दिया। ये जूते इतने अच्छे थे कि वे लगभग दो साल तक चले, और इस कारण से, कहानीकार काफी लंबे समय तक श्री गेसलर की दुकान पर नहीं गया।

जब कहानीकार अगली बार उनकी दुकान पर गया, तो उसने देखा कि श्री गेसलर बूढ़े और थके हुए लग रहे थे। वह बहुत थके हुए और कमजोर दिख रहे थे, और कहानीकार को पता चला कि उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई थी। इसके बावजूद, श्री गेसलर ने कड़ी मेहनत जारी रखी और कहानीकार के जूतों का ऑर्डर लिया। इसके बाद, कहानीकार लंबे समय तक विदेश चला गया और एक साल से अधिक समय तक वापस नहीं आया।

जब कहानीकार आखिरकार लौटकर आया, तो उसने देखा कि श्री गेसलर एक साल में काफी बूढ़े हो गए थे। वह कहानीकार को पहचान भी नहीं पाए, लेकिन फिर भी उन्होंने जूते बहुत ही कुशलता से बनाए। कहानीकार जूतों की गुणवत्ता से बहुत प्रभावित हुआ, जो पहले से भी बेहतर थे।

एक हफ्ते बाद, कहानीकार ने श्री गेसलर का धन्यवाद करने के लिए उनकी दुकान जाने का फैसला किया। हालांकि, जब वह दुकान पर पहुंचा, तो उसने देखा कि “Gessler Brothers” का साइनबोर्ड हटा हुआ था। दुकान में एक युवा अंग्रेज दुकान चला रहा था। कहानीकार ने श्री गेसलर के बारे में पूछा, और युवक ने बताया कि श्री गेसलर का देहांत हो गया था।

युवक ने बताया कि श्री गेसलर बिना पर्याप्त भोजन या आराम किए काम करते रहे, और उन्होंने खुद को काम में इतना झोंक दिया कि उनकी मृत्यु हो गई। उनकी सारी कमाई किराए और चमड़े पर खर्च हो जाती थी, और उनके पास खुद के लिए कुछ नहीं बचता था। युवक ने श्री गेसलर की कुशलता की प्रशंसा की, लेकिन इस बात पर अफसोस जताया कि उनका समर्पण ही उनकी विनाश का कारण बना।

कहानी का अंत कहानीकार के श्री गेसलर के जीवन पर विचार करने के साथ होता है, जिसमें वह केवल कहते हैं, “वह अच्छे जूते बनाते थे।” यह अंतिम पंक्ति श्री गेसलर के जीवन और उनकी विरासत को संक्षेप में प्रस्तुत करती है – उनकी कला और समर्पण, जो उनके स्वास्थ्य और सफलता की कीमत पर आया।


निष्कर्ष:

कहानी समर्पण, शिल्प कौशल और व्यापारिक दुनिया में बढ़ती व्यावसायिकता के प्रभाव पर जोर देती है। श्री गेसलर कुशल शिल्पकारों के मरते हुए कला रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें अब बड़े व्यवसायों द्वारा पीछे छोड़ दिया जा रहा है जो मुनाफे और विज्ञापन को गुणवत्ता से अधिक महत्व देते हैं। उनकी दुखद मृत्यु इस बात पर एक गंभीर टिप्पणी है कि आधुनिक व्यापार जगत असली कला और कड़ी मेहनत की कदर नहीं करता।


महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ:
शब्दअर्थ
जूता बनाने वालाएक व्यक्ति जो जूते बनाता या ठीक करता है।
कलाइस संदर्भ में, जूते बनाने को कुशल शिल्पकला के रूप में माना गया है।
वातावरणकिसी स्थान का चरित्र या माहौल, यहाँ इसका मतलब दुकान की शांति से है।
चरमराहटपुरानी या सही तरह से फिट न होने वाले जूतों द्वारा की जाने वाली ध्वनि।
स्वाभिमानअपनी क्षमताओं और काम की गुणवत्ता पर गर्व।
विज्ञापनग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उत्पादों का प्रचार, अक्सर बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है।
समर्पणकिसी कार्य या उद्देश्य के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता।
व्यावसायिक फर्मेंबड़ी कंपनियाँ जो कई उत्पाद बेचने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, कभी-कभी गुणवत्ता पर कम ध्यान देती हैं।
विनाशसफलता की हानि या पतन, यहाँ श्री गेसलर के व्यवसाय और स्वास्थ्य के पतन को दर्शाता है।

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