Simple Summary:
Bepin Choudhury is a man who regularly visits a bookstore to buy books. One day, while at the shop, a man named Parimal Ghose approaches him and claims that they had gone on a trip to Ranchi together in 1958. Bepin, however, has no memory of this trip and believes Parimal must be confusing him with someone else. Parimal provides specific details, like Bepin’s fall near Hudroo Falls and personal incidents from the trip, which confuse Bepin even more.
Even though Bepin vividly remembers other aspects of his life, he cannot recall this Ranchi trip at all. Later, Bepin contacts his friend, Dinesh Mukerji, who was supposedly also on the Ranchi trip, and to Bepin’s shock, Dinesh confirms that the trip did happen.
Bepin starts to worry that he is suffering from memory loss and seeks medical help. The doctor suggests that Bepin visit Ranchi to jog his memory. Hoping that being in Ranchi might help him remember the trip, Bepin visits the city. However, despite going to all the places described by Parimal, he still cannot recall the trip.
Bepin becomes deeply concerned and feels his mental health might be deteriorating. Before the doctor could arrive for further treatment, Bepin receives a letter from Chunni Lal, an old friend. Chunni confesses that the entire story was a fabrication, created to get back at Bepin for ignoring him during a time of need. Chunni had been desperate for a job and had asked Bepin for help, but Bepin had turned him away, so Chunni decided to play this elaborate prank.
Relieved that there is nothing wrong with his memory, Bepin decides not to tell the doctor the truth. Instead, he lies, saying that his memory of the Ranchi trip has returned, and he is now feeling better.
Conclusion:
This detailed version provides a more in-depth look at Bepin’s journey through confusion, fear, and eventual relief. It also emphasizes the importance of helping others in need, as failing to do so may result in consequences later. The story teaches the moral that one should be considerate of others because, as the saying goes, “As you sow, so shall you reap.”
Keywords and Meanings:
Keyword | Meaning |
---|---|
Protagonist | The main character of a story |
Incident | An event or occurrence, especially something noteworthy or unusual |
Acquaintance | A person one knows slightly but is not close to |
Confuse | To make someone uncertain or unclear |
Memory loss | The inability to remember past events or experiences |
Verify | To check if something is true |
Remedy | A solution or treatment for a problem |
Jog (memory) | To remind or trigger a memory |
Deteriorating | Becoming worse or declining in condition |
Fabrication | A falsehood or something made up |
Revenge | Hurting someone because they hurt you earlier |
Practical joke | A trick played on someone for fun or spite |
Relieved | Feeling less worried or stressed after a problem is resolved |
Spite | The desire to hurt, annoy, or upset someone intentionally |
Confession | Admitting or acknowledging the truth, usually of a wrong action |
विस्तृत सारांश:
बिपिन चौधरी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो नियमित रूप से किताबों की दुकान पर जाकर किताबें खरीदते हैं। एक दिन, दुकान पर एक व्यक्ति, परिमल घोष, उनसे मिलता है और दावा करता है कि वे 1958 में रांची की यात्रा पर साथ गए थे। बिपिन को इस यात्रा की कोई याद नहीं है और उन्हें लगता है कि परिमल ने उन्हें किसी और के साथ भ्रमित कर लिया है। लेकिन जब परिमल व्यक्तिगत घटनाओं और बिपिन के गिरने जैसी विशिष्ट जानकारियां देता है, तो बिपिन और भी भ्रमित हो जाते हैं।
हालाँकि बिपिन को अपने जीवन की अन्य घटनाएँ स्पष्ट रूप से याद हैं, लेकिन उन्हें यह रांची यात्रा बिल्कुल भी याद नहीं आती। बाद में, बिपिन अपने मित्र, दिनेश मुखर्जी से संपर्क करते हैं, जो कथित तौर पर रांची यात्रा में साथ थे, और बिपिन के आश्चर्य की बात यह है कि दिनेश इस यात्रा की पुष्टि करते हैं।
बिपिन चिंतित हो जाते हैं कि उन्हें स्मृति हानि हो रही है और वे डॉक्टर से सलाह लेते हैं। डॉक्टर सुझाव देते हैं कि बिपिन रांची जाएँ ताकि वहाँ जाकर उनकी यादें वापस आ सकें। इस उम्मीद में कि रांची की यात्रा उन्हें इस घटना की याद दिला देगी, बिपिन रांची जाते हैं। लेकिन, परिमल द्वारा वर्णित स्थानों पर जाने के बावजूद, उन्हें कुछ भी याद नहीं आता।
अब बिपिन को गहरी चिंता होती है और वे सोचते हैं कि शायद उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। डॉक्टर के आने से पहले, बिपिन को अपने पुराने मित्र चुन्नी लाल का एक पत्र मिलता है। चुन्नी ने यह स्वीकार किया कि पूरी कहानी झूठी थी और उसने बिपिन से बदला लेने के लिए यह साजिश रची थी। चुन्नी नौकरी की सख्त जरूरत में था और उसने बिपिन से मदद मांगी थी, लेकिन बिपिन ने उसकी मदद नहीं की। इस कारण चुन्नी ने यह मजाक किया।
यह जानकर कि उनकी स्मृति में कोई समस्या नहीं है, बिपिन को राहत मिलती है। वे डॉक्टर को सच्चाई नहीं बताते और झूठ बोलते हैं कि रांची जाने से उनकी यादें वापस आ गई हैं और अब वे ठीक हैं।
निष्कर्ष:
यह विस्तृत संस्करण बिपिन की यात्रा को भ्रम, भय और अंततः राहत के साथ अधिक गहराई से प्रस्तुत करता है। यह दूसरों की मदद करने के महत्व को भी रेखांकित करता है, क्योंकि ऐसा न करने से बाद में परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। कहानी हमें यह नैतिक शिक्षा देती है कि हमें दूसरों के प्रति विचारशील होना चाहिए, क्योंकि “जैसा करोगे, वैसा भरोगे।”
महत्वपूर्ण शब्द और उनके अर्थ:
महत्वपूर्ण शब्द | अर्थ |
---|---|
नायक (Protagonist) | कहानी का मुख्य पात्र |
घटना (Incident) | कोई घटना या महत्वपूर्ण बात |
परिचित (Acquaintance) | कोई ऐसा व्यक्ति जिसे थोड़ी जानकारी हो, लेकिन करीबी न हो |
भ्रमित (Confuse) | किसी को अनिश्चित या अस्पष्ट बना देना |
स्मृति हानि (Memory loss) | अतीत की घटनाओं को याद करने में असमर्थता |
पुष्टि (Verify) | यह सुनिश्चित करना कि कुछ सत्य है |
उपचार (Remedy) | किसी समस्या का समाधान या इलाज |
याद दिलाना (Jog memory) | किसी घटना या याद को फिर से उभारना |
बिगड़ना (Deteriorating) | किसी स्थिति का खराब होना या गिरावट |
गढ़ना (Fabrication) | कोई झूठी या बनाई गई बात |
बदला (Revenge) | किसी से बदला लेना, क्योंकि उन्होंने पहले आपको नुकसान पहुँचाया |
व्यावहारिक मज़ाक (Practical joke) | किसी पर मजाक करने के लिए की गई चाल या खेल |
राहत (Relieved) | किसी समस्या के हल हो जाने के बाद चिंता कम होना |
द्वेष (Spite) | जानबूझकर किसी को चोट पहुँचाने या परेशान करने की इच्छा |
स्वीकारोक्ति (Confession) | किसी गलती को स्वीकार करना या सच बताना |
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