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CBSE Class 8 English (Honeydew Book) Poem 1 The Ant and the Cricket

Introduction

“The Ant and the Cricket” is a timeless fable adopted from Aesop’s collection, known for imparting moral lessons through stories featuring animals. This poem conveys a significant life lesson through the tale of a tiny ant and a carefree cricket, highlighting the importance of planning for the future—a lesson that resonates with both “four-legged” and “two-legged” crickets (humans).

Summary of the Poem

The poem begins with the cricket, a young and thoughtless creature, who spends his summer and spring singing joyfully without a care for the future. As winter approaches, he finds himself with an empty cupboard and no food to eat. Confused and desperate on the snow-covered ground, he realizes the consequences of his carefree lifestyle.

Soaked and trembling with cold, the cricket seeks the help of the industrious ant. He asks for shelter from the rain and a mouthful of grain, promising to repay the ant when he is able. However, the ant, adhering to a strict policy of not borrowing or lending, inquires about the cricket’s actions during the warm months. The cricket admits he sang all summer long, too light-hearted to think about storing food for winter.

Moral and Reflection

The ant dismisses the cricket’s plea, advising him to dance the winter away just as he had sung the summer away. The poem concludes with the poet’s reflection that many dismiss this tale as mere fiction, but he argues that it is indeed true. There are many who live without planning for the future, both in the animal kingdom and among humans.

Poem Explanation

Stanza 1: The Cricket’s Carefree Attitude
A silly young cricket, accustomed to sing
Through the warm, sunny months of gay summer and spring,
Began to complain when he found that, at home,
His cupboard was empty, and winter was come.
Not a crumb to be found
On the snow-covered ground;
Not a flower could he see,
Not a leaf on a tree.
“Oh! what will become,” says the cricket, “of me?”

Word Meanings:

Explanation:
The poem opens with a young cricket, who spends his summer and spring singing joyfully. The term “gay” signifies the vibrant life and abundance present during these seasons. However, as winter arrives, the cricket discovers his cupboard is empty and is left to lament his fate. He realizes that he cannot find even a crumb of food in the harsh winter landscape, filled with snow and devoid of life.


Stanza 2: A Desperate Plea for Help
At last by starvation and famine made bold,
All dripping with wet, and all trembling with cold,
Away he set off to a miserly ant,
To see if, to keep him alive, he would grant
Him shelter from rain,
And a mouthful of grain.
He wished only to borrow;
He’d repay it tomorrow;
If not, he must die of starvation and sorrow.

Word Meanings:

Explanation:
Faced with starvation, the cricket, drenched and cold, approaches the ant for help. His desperation drives him to seek shelter and food, promising to repay the ant later. This stanza highlights the dire consequences of his earlier negligence, as he finds himself at the mercy of the ant.


Stanza 3: The Ant’s Response
Says the ant to the cricket, “I’m your servant and friend,
But we ants never borrow; we ants never lend.
But tell me, dear cricket, did you lay nothing by
When the weather was warm?” Quoth the cricket, “Not I!
My heart was so light
That I sang day and night,
For all nature looked gay.”
“You sang, Sir, you say?
Go then,” says the ant, “and dance the winter away.”

Word Meanings:

Explanation:
The ant explains his policy of neither borrowing nor lending. He questions the cricket about his summer preparations, to which the cricket responds that he was too happy to think of the future, spending his time singing. The ant’s dismissive advice for the cricket to “dance the winter away” reflects the futility of the cricket’s carefree attitude when faced with harsh realities.


Stanza 4: The Conclusion
Thus ending, he hastily lifted the wicket,
And out of the door turned the poor little cricket.
Folks call this a fable. I’ll warrant it true:
Some crickets have four legs, and some have two.

Word Meanings:

Explanation:
After concluding their conversation, the ant swiftly ejects the cricket from his home. The poet reflects that while many dismiss this tale as mere fiction, it serves a deeper truth: there are both literal and metaphorical “crickets” among us—those who fail to plan and prepare for the future. The message is clear: neglecting responsibilities can lead to dire consequences.

Moral of the Story

The poem ultimately emphasizes the necessity of hard work and preparation, encouraging us to think ahead and act responsibly. It serves as a reminder that joy should be balanced with diligence and foresight.

परिचय

“चींटी और झींगुर” एक कालातीत दंतकथा है जिसे ऐसोप की कहानियों से लिया गया है, जो जानवरों की कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा देती है। यह कविता एक छोटी चींटी और एक लापरवाह झींगुर की कहानी के माध्यम से एक महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखाती है, जो भविष्य की योजना बनाने के महत्व को उजागर करती है—a सीख जो चार पैरों वाले और दो पैरों वाले झींगुरों (मनुष्यों) दोनों के लिए प्रासंगिक है।

कविता का सारांश

कविता एक युवा और लापरवाह झींगुर से शुरू होती है, जो अपना समय गर्मियों और वसंत में गाते हुए खुशी से बिताता है, भविष्य की चिंता किए बिना। जब सर्दी आती है, तो उसे अपना अलमारी खाली मिलती है और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिलता। बर्फ से ढके मैदान पर भ्रमित और निराश, उसे अपनी लापरवाही का परिणाम समझ में आता है।

गीला और ठंड से कांपते हुए, झींगुर मेहनती चींटी से मदद मांगता है। वह बारिश से बचने के लिए आश्रय और अनाज के कुछ दाने मांगता है, वादा करता है कि जब वह सक्षम होगा तो उसे लौटा देगा। हालाँकि, चींटी, उधार लेने और उधार देने की सख्त नीति का पालन करते हुए, गर्मियों के महीनों में झींगुर द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में पूछती है। झींगुर स्वीकार करता है कि उसने पूरी गर्मी गाने में बिता दी, भविष्य के बारे में सोचने के लिए बहुत हल्का दिल था।

नैतिक और चिंतन

चींटी झींगुर की दलील को खारिज कर देती है और उसे सलाह देती है कि जैसे उसने गर्मियों में गाया था, वैसे ही सर्दियों में भी नाच ले। कविता कवि के इस चिंतन के साथ समाप्त होती है कि बहुत से लोग इस कहानी को केवल कल्पना मानते हैं, लेकिन वह तर्क देते हैं कि यह वास्तव में सत्य है। ऐसे कई लोग हैं, जो भविष्य के बारे में सोचे बिना जीते हैं, चाहे वे जानवर हों या मनुष्य।


कविता का स्पष्टीकरण

अंश 1: झींगुर का लापरवाह रवैया

एक मूर्ख झींगुर, जिसे गाने की आदत थी
गर्म, धूप भरे हंसमुख गर्मियों और वसंत के महीनों में,
शिकायत करने लगा जब उसने पाया कि, घर पर,
उसकी अलमारी खाली थी, और सर्दी आ गई थी।
एक भी टुकड़ा नहीं मिल सका
बर्फ से ढके मैदान पर;
न कोई फूल उसे दिखा,
न किसी पेड़ पर पत्ता।
“ओह! अब मेरे साथ क्या होगा?” झींगुर कहता है।

शब्दार्थ:

स्पष्टीकरण: कविता की शुरुआत एक युवा झींगुर से होती है, जो अपनी गर्मियों और वसंत को खुशी-खुशी गाने में बिताता है। “Gay” शब्द यहां हंसमुख जीवन और उन मौसमों की प्रचुरता का प्रतीक है। हालाँकि, जब सर्दी आती है, तो झींगुर अपनी अलमारी खाली पाता है और अपनी किस्मत पर पछताता है। उसे एहसास होता है कि अब सर्दी की कठोर परिस्थितियों में उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिलेगा।


अंश 2: मदद की गुहार

अंततः भूख और अकाल से साहस पाकर,
पूरी तरह से भीग चुका, और ठंड से कांप रहा,
वह कंजूस चींटी के पास गया,
यह देखने के लिए कि क्या, उसे जीवित रखने के लिए, वह उसे देगा
बारिश से आश्रय,
और अनाज का एक टुकड़ा।
वह केवल उधार लेना चाहता था;
वह इसे कल चुका देगा;
नहीं तो उसे भूख और दुख से मरना पड़ेगा।

शब्दार्थ:

स्पष्टीकरण: भूख से पीड़ित, झींगुर, भीगा हुआ और ठंड से कांपता हुआ, चींटी से मदद मांगता है। उसकी हताशा उसे आश्रय और भोजन मांगने के लिए मजबूर करती है, और वह चींटी से वादा करता है कि वह बाद में इसे चुकाएगा। यह अंश उसकी पहले की लापरवाही के गंभीर परिणामों को दर्शाता है, क्योंकि अब वह चींटी की दया पर निर्भर है।


अंश 3: चींटी की प्रतिक्रिया

चींटी झींगुर से कहती है, “मैं तुम्हारा सेवक और दोस्त हूँ,
परंतु हम चींटियाँ न उधार लेती हैं, न उधार देती हैं।
लेकिन मुझे बताओ, प्रिय झींगुर, क्या तुमने कुछ भी संग्रह नहीं किया
जब मौसम गर्म था?” झींगुर ने कहा, “नहीं मैंने नहीं!
मेरा दिल इतना हल्का था
कि मैंने दिन-रात गाया,
क्योंकि पूरी प्रकृति हंसमुख दिख रही थी।”
“तुमने गाया, श्रीमान, तुम कहते हो?
तो जाओ,” चींटी कहती है, “और सर्दी को नाचते हुए बिताओ।”

शब्दार्थ:

स्पष्टीकरण: चींटी अपनी उधार न लेने और न देने की नीति बताती है। वह झींगुर से गर्मियों में उसकी तैयारियों के बारे में पूछती है, और झींगुर उत्तर देता है कि वह भविष्य की चिंता किए बिना गाता रहा। चींटी की ताने भरी सलाह कि वह सर्दी में नाच ले, झींगुर के लापरवाह रवैये के व्यर्थता को दर्शाती है।


अंश 4: निष्कर्ष

इस तरह समाप्त करते हुए, उसने जल्दी से फाटक उठाया,
और दरवाजे से बाहर निकाल दिया बेबस छोटे झींगुर को।
लोग इसे एक दंतकथा कहते हैं। मैं इसे सच मानता हूँ:
कुछ झींगुर चार पैरों वाले होते हैं, और कुछ दो पैरों वाले।

शब्दार्थ:

स्पष्टीकरण: अपनी बातचीत समाप्त करते हुए, चींटी जल्दी से झींगुर को अपने घर से बाहर कर देती है। कवि यह सोचते हैं कि भले ही बहुत से लोग इस कहानी को कल्पना मानते हैं, यह वास्तव में सत्य है। इस दुनिया में कई “झींगुर” हैं—ऐसे लोग जो भविष्य की योजना बनाए बिना जीते हैं। संदेश स्पष्ट है: जिम्मेदारियों की अनदेखी करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।


कहानी की नैतिक शिक्षा

कविता अंततः मेहनत और तैयारी की आवश्यकता को दर्शाती है, हमें सोचने और जिम्मेदारी से काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह याद दिलाती है कि आनंद और खुशी को परिश्रम और दूरदर्शिता के साथ संतुलित करना चाहिए।

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