गीत से
1. इस गीत की किन पंक्तियों को तुम अपने आसपास के जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर: इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास के जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं:साथी हाथ बढ़ाना। एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना। हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
2. ‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’ – साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर: ऊपर दी गई पंक्तियों के माध्यम से साहिर कहना चाहता है की साथ मिलकर मेहनत करने से हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। आगे कवि कहते हैं कि पर्वत को झुकाना अकेले संभव नहीं है परन्तु यदि सब एकता से कठिन परिश्रम के तो पर्वत को झुकाना भी आसान कार्य लगने लगता है। एकता और परिश्रम से तो गहरे सागर में भी रास्ता बनाया जा सकता है।
3. गीत में सीने और बाँहों को फौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर: गीत में सीने और बाँहों को फौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि इसका मतलब हमारा मजबूत होना माना जाता है। हम असंभव कार्यों को भी कठिन परिश्रम करके संभव बनाने के प्रयास में रहते हैं। कवि ऐसा मानते हैं कि एकता और मेहनत से पर्वत भी झुकाया जा सकता है। ऐसे दृढ निश्चयी मनुष्य को ही फौलादी कहा गया है।
गीत से आगे
4. अपने आसपास तुम किसे ‘साथी’ मानते हो और क्यों? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखो।
उत्तर: मैं अपने आसपास अपने भाई-बहन, दोस्तों को अपना साथी मानता हूँ। मैं अपने भाई-बहन से पहली बार अपने घर में मिला था और दोस्तों से खेल के मैदान में मिला था। मेरे दोस्तों और मेरे दोस्त सदैव ही मेरा साथ देते हैं, वह मुझे कभी हार नहीं मानने देते। साथी से मिलते-जुलते कुछ शब्द सखा, मित्र, बन्धु, दोस्त आदि हैं।
5. ‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक’ कक्षा, मोहल्ले और गाँव/शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है और कैसे?
उत्तर: जब हम अपने साथियों की बातों से सहमत होते हैं तो हमें वाक्य की सच्चाई महसूस होती है। जैसे: मोहल्ले के सभी लोगों को वहाँ की सफाई से मतलब होता है और शहर या गाँव के लोगों को रोजगार चाहिए होता है। इन उदाहरणों से ज्ञात होता है कि जब लोगों का हित एक ही चीज में होता है तो वह साथ मिलकर साथियों की तरह कार्य करते है।
6. इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?
उत्तर: इस गीत को हम खराब परिस्थितियों में गुनगुना सकते हैं क्योंकि इस गीत में कुछ ऐसी बात है जिससे हमारे साथ-साथ हमारे आसपास के लोगों को भी हिम्मत मिलेगी और वह कठिन समय से लड़ कर बाहर निकल पाएंगे। ये गीत बुरे वक़्त को भी बेहतर बनाने का काम करेगा। यह गीत सुनकर सभी के मन में उमंग पैदा होगी और वह एकता के साथ काम करेंगे।
7. ‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’-
(क) तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
उत्तर: हमारे घरों में हमारी माँ ही सारा काम करती हैं लेकिन यदि हम उनकी सहायता के लिए अपना काम स्वयं करें तो उनके लिए कम काम रहेंगे और उन्हें भी आराम करने का समय मिल जाएगा।
(ख) पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
उत्तर: हमारे घरों में हमारी माँ का काम घर संभालना होता है और पापा का काम घर चलाने के लिए पैसे कमाना। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन फिर भी ज्याातर घरों में यही चलता आ रहा है। एक माँ का कार्य अभी के लिए भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर के लिए सब्जियां लेकर आना तथा पापा का काम भोजन के लिए पैसे कमाना, हमारी पढ़ाई का खर्चा उठाने आदि होता हैं।
(ग) क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?
उत्तर: जी हाँ, मेरे घर में मेरे माता-पिता एक दूसरे के कामों में सहायता करते हैं। ऐसा निर्धारित नहीं है कि माता को ये काम करने हैं और पिता को ये काम करने हैं। सभी मिलकर एक दूसरे के काम की पूरा कर देते हैं।
8. यदि तुमने ‘नया दौर’ फिल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फिल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? यदि तुमने फिल्म नहीं देखी है तो फिल्म देखो और बताओ।
उत्तर: फिल्म ‘नया दौर’ में जब गाँव वाले नायक (दिलीप कुमार) और नायिका (वैजयंती माला) के साथ मिलकर कच्ची सड़क को पक्का बना रहे होते हैं तो सब मिलकर यह गीत गाते हैं।
भाषा की बात
9.
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
- एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
उत्तर: ऊपर दी गई कहावतों का अर्थ गीत की निम्नलिखित पंक्तियों से मिलता-जुलता है:
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
एक से एक मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया।
एक से एक मिले तो जर्रा, बन जाती है सेहरी।
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत।
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर: अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता अर्थात चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो अकेले वह कोई भी युद्ध नहीं जीत सकता।इस कहावत का वाक्य में प्रयोग करने पर- मैंने उस बुरे नेता के खिलाफ अपनी बात रखी लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता इसलिए मै कुछ भी नहीं कर पाया।एक और एक ग्यारह होना अर्थात एकता में बल होता है।इस कहावत का वाक्य में प्रयोग करने पर- मैंने बहुत सी लड़ाईयाँ अकेले लड़ी लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली क्योंकि एक और एक ग्यारह होता है इसलिए हम सब अब मिलकर लड़ाई लड़ेंगे।
10. नीचे हाथ से सम्बन्धित कुछ मुहावरे दिए हैं। इसके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ-
(क) हाथ को हाथ न सूझना
उत्तर: हाथ को हाथ न सूझना अर्थात घोर अंधकार होना।
वाक्य में प्रयोग करने पर- अंतरिक्ष में हाथ को हाथ न सूझता।
(ख) हाथ साफ करना
उत्तर: हाथ साफ करना अर्थात दूसरे की चीज को चुराना।
वाक्य में प्रयोग करने पर- सीता ने मौका मिलते ही रमन की कलम पर हाथ साफ कर लिया।
(ग) हाथ-पैर फूलना
उत्तर: हाथ-पैर फूलना अर्थात घबराहट होना।
वाक्य में प्रयोग करने पर- मास्टर जी को देखकर श्याम के हाथ-पैर फूल जाते हैं।
(घ) हाथों-हाथ लेना
उत्तर: हाथों-हाथ लेना अर्थात सम्मानपूर्वक आवभगत करना।
वाक्य में प्रयोग करने पर- शादी कराते समय सारे काम हाथों-हाथ कर लेने चाहिए।
(ङ) हाथ लगना
उत्तर: हाथ लगना अर्थात प्रारम्भ करना।
वाक्य में प्रयोग करने पर- राधा ने अपने पिता के व्यवसाय में हाथ लगा दिया है।
11. हाथ और हस्त एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए शब्दों में हस्त और हाथ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है-
हाथघड़ी
उत्तर: कलाई पर पहने जाने वाली घड़ी।
हस्तशिल्प
उत्तर: हाथों से किया गया शिल्प का काम।
हस्तक्षेप
उत्तर: किसी काम में दखल देना।
हथौड़ा
उत्तर: लोहे का औजार जिससे कीलें ठोंकी जाती हैं।
हथकंडा
उत्तर: अनुचित तरीके से अपना काम निकलवाना।
निहत्था
उत्तर: बिना हथियार के व्यक्ति।
हस्ताक्षर
उत्तर: अपनी सहमति दिखाने के लिए किसी कागज पर कलम से अपना नाम लिखना।
हथकरघा
उत्तर: वह कपड़ा जो हाथों से बनाया गया हो।
12. इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ जैसे शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो।
उत्तर: परबत का प्रचलित रूप पर्वत ता पहाड़ है। सीस का प्रचलित रूप शीश (कविता में चोटी) है। रस्ता का प्रचलित रूप सड़क है। इंसाँ का प्रचलित रूप आदमी है।
13. ‘कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना’-
इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है-
(तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना।
अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो-
अपने से
उत्तर: हमारे देश के जवानों ने अपने से पहले देश की रक्षा की है।
अपने को
उत्तर: अपने आप को धर्म के मार्ग से भटकने से रोकना चाहिए।
अपने पर
उत्तर: अपने पर विश्ववास रखना चाहिए।
आपस में
उत्तर: राम और उनके भाइ आपस में बहुत प्रेम करते थे।
अपने लिए
उत्तर: अपने लिए लड़ने से कोई स्वार्थी नहीं बनता।
14. बातचीत करते समय हमारी बातें हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कुछ कहा जा सकता है। नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों और प्रयोग होते हैं? लिखो-
‘क्यों’ पूछते हाथ
उत्तर: किसी से सवाल पूछते वक़्त हाथ।
मना करते हाथ
उत्तर: किसी बात को मना करते समय हाथ।
समझाते हाथ
उत्तर: किसी को ज्ञान की बातें बताते हुए हाथ।
बुलाते हाथ
उत्तर: अगर किसी को अपने पास बुलाना हो तो।
आरोप लगाते हाथ
उत्तर: किसी पर आरोप लगाते वक़्त हाथ।
चेतावनी देते हाथ
उत्तर: किसी को सावधान रहने की चेतावनी देते वक़्त हाथ।
जोश दिखाते हाथ
उत्तर: हिम्मत से बात करते वक़्त।
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