निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
कभी-कभी हवाई जहाज भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते। दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर। यह देखो और वह गायब! उसकी स्पीड ही इतनी तेज़ लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के डॉक्टर अंग्रेज थे।
शुरू-शुरू में चश्मा लगाना बड़ा अटपटा लगा। छोटे-बड़े मेरे चेहरे की ओर देखते और कहते-आँखों में कुछ तकलीफ़ है! इस उम्र में ऐनक! दूध पिया करो। मैं डॉक्टर साहिब
का कहा दोहरा देती-कुछ देर पहनोगी तो ऐनक उतर जाएगी। वैसे डॉक्टर साहिब ने पूरा आश्वासन दिया था, लेकिन चश्मा तो अब तक नहीं उतरा। नंबर बस कम ही होता रहा! मैं अपने-आप इसकी ज़िम्मेवार हूँ। जब आप दिन की रोशनी को छोड़कर रात में टेबल लैंप के सामने काम करेंगी-तो इसके अलावा और क्या होगा!
हाँ, जब पहली बार मैंने चश्मा लगाया तो मेरे एक चचेरे भाई ने मुझे छेड़ा-देखो, देखो, कैसी लग रही है!
i. दिल्ली के बच्चे हवाई जहाज को देखकर क्या कहते थे?
(क) बड़ी मछली
(ख) बड़ा पक्षी
(ग) उड़नतस्तरी
(घ) एलियन का यान
उत्तर: (ख) बड़ा पक्षी
ii. लेखिका को आज तक कौन सी एक दुकान नहीं भूली?
(क) चश्मे वाली
(ख) कपड़े वाली
(ग) ज्वैलरी वाली
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क) चश्मे वाली
iii. लेखिका को पहली बार चश्मा लगने के बाद निम्न में से कौन चिढ़ाता था?
(क) चचेरा भाई
(ख) ममेरा भाई
(ग) बुआ का लड़का
(घ) क्लास के बच्चे
उत्तर: (क) चचेरा भाई
iv. लेखिका को चश्मा लगाए देख छोटे-बड़े उनको कौन सी सलाह देते?
(क) दूध पीने की
(ख) ज्यादा खाना खाने की
(ग) अधेरे में न पढ़ने की
(घ) बस दिन में पढ़ने की
उत्तर: (क) दूध पीने की
मैं तुम्हें अपने बचपन की ओर ले जाऊँगी। मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं। हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढ़ने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हूँ। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुर्ते।
i. परिवार के लोग लेखिका को क्या कहकर पुकारते थे?
(क) दादी अम्मा
(ख) जीजी
(ग) नानी
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ख) जीजी
ii. निम्नलिखित में से किस रंग का कपड़ा लेखिका अपने जमाने में पहना करती थी?
(क) लाल
(ख) सफेद
(ग) पीला
(घ) चॉकलेटी
उत्तर: (घ) चॉकलेटी
iii. निम्नलिखित में से किस रंग का कपड़ा लेखिका अपने जमाने में नहीं पहना करती थी?
(क) नारंगी
(ख) ग्रे
(ग) नीला
(घ) चॉकलेटी
उत्तर: (क) नारंगी
iv. लेखिका का अब किस रंग के कपड़े पहनने का मन कर रहा है?
(क) लाल
(ख) सफेद
(ग) पीला
(घ) चॉकलेटी
उत्तर: (ख) सफेद
हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती! छोटे शीशे के गिलास, जिन पर ठीक खुराक के लिए निशान पड़े रहते, उन्हें देखते ही मितली होते लगती। मुझे आज भी लगता है कि अगर हम न भी पीते वह शनिवारी दवा तो कुछ ज़्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। सेहत ठीक ही रहती। तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है। यहाँ तक कि बचपन की दिलचस्पियाँ भी बदल गई हैं।
i. लेखिका को हर शनीचर क्या करना पड़ता था?
(क) जूता धोना पड़ता था
(ख) दादी के लिए दवा लाना पड़ता था
(ग) ऑलिव आयल पीना पड़ता था
(घ) रसोई का काम करना पड़ता था
उत्तर: (ग) ऑलिव आयल पीना पड़ता था
ii. लेखिका के लिए कौन सा सबसे मुश्किल काम था?
(क) जूता धोना
(ख) ऑलिव ऑयल पीना
(ग) रसोई का काम
(घ) होमवर्क करना
उत्तर: (ख) ऑलिव ऑयल पीना
iii. ऑलिव ऑयल किसमे रखा हुआ रहता था?
(क) ग्लास में
(ख) छोटी सी शीशी में
(ग) बड़ी शीशी में
(घ) दराज में
उत्तर: (ख) छोटी सी शीशी में
iv. लेखिका ने शनिवारी दवा किसको कहा है?
(क) ऑलिव ऑयल को
(ख) दादी की सांस की दवा को
(ग) खांसी की दवा को
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क) ऑलिव ऑयल को
याद रहे, उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे, रेडियो और टेलीविजन नहीं थे। हमारे बचपन की कुलफ़ी आइसक्रीम हो गई है। कचौड़ी-समोसा, पैटीज़ में बदल गया है। शहतूत और फ़ाल्से और खसखस के शरबत कोक-पेप्सी में।
उन दिनों कोक नहीं, लेमनेड, विमटो मिलती थी।
शिमला और नयी दिल्ली में बड़े हुए बच्चों को वेंगर्स और डेविको रेस्तराँ की चॉकलेट और पेस्ट्री मज़ा देनेवाली होती। हम भाई-बहनों की ड्यूटी लगती शिमला माल से ब्राउन ब्रेड लाने की।
i. प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका के अनुसार उनके बचपन की कुल्फी किसमें बदल गई है?
(क) चॉकलेट
(ख) आइसक्रीम
(ग) पेस्ट्री
(घ) केक
उत्तर: (ख) आइसक्रीम
ii. प्रस्तुत गद्यांश में लेखिका के अनुसार उनके बचपन के कचौड़ी समोसे किसमें बदल गए हैं?
(क) चॉकलेट
(ख) आइसक्रीम
(ग) पेस्ट्री
(घ) पैटीज
उत्तर: (घ) पैटीज
iii. लेखिका के बचपन में कोक की जगह में क्या मिलता था?
(क) लेमनेड
(ख) निम्बू पानी
(ग) लिम्का
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क) लेमनेड
iv. लेखिका और उनके भाई की क्या जिम्मेदारी थी?
(क) घर की साफ सफाई की
(ख) पौधों को पानी देने की
(ग) शिमला माल से ब्राउन ब्रेड लाने की
(घ) घर के कुत्ते को खाना खिलाने की
उत्तर: (ग) शिमला माल से ब्राउन ब्रेड लाने की
आंख पर चश्मा लगाया
ताकि सूझे दूर की
कह यह नहीं लड़की को मालूम
सूरत बनी लंगूर की!
मैं खीझी कि मुझ पर यह क्यों दोहराया जा रहा है! पर शेर बुरा न लगा। जब वह चाय पीकर चले गए तो मैं कि अपने कमरे में जाकर आईने के सामने खड़ी पे हो गई। कई बार अपने को देखा। ऐनक उतारी। फिर पहनी। फिर उतारी। देखती रही-देखती रही।
पर सूरत बनी लंगूर की-
“नहीं-नहीं-नहीं–हाँ-हाँ-हाँ-
मैंने अपने छोटे भाई का टोपा उठाकर सिर पर रखा। कुछ अजीब लगा। अच्छा भी और मज़ाकिया भी। तब की बात थी, अब तो चेहरे के साथ घुल-मिल गया है चश्मा। जब कभी उतरा हुआ होता है तो चेहरा खाली-खाली लगने लगता है। याद आ गया वह टोपा, काली फ्रेम का चश्मा और लंगूर की सूरत! हाँ, इन दिनों शिमला में मैं सिर पर टोपी लगाना पसंद करती हूँ। मैंने कई रंगों की जमा कर ली हैं। कहाँ दुपट्टों का ओढ़ना और कहाँ सहज सहल सुभीते वाली हिमाचली टोपियाँ!
i. लेखिका को उनके भाई क्या कहकर चिढ़ाते थे?
(क) बंदरिया
(ख) लंगूर
(ग) चुहिया
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (ख) लंगूर
ii. लेखिका को उनका भाई क्यों चिढ़ाया?
(क) चश्मा पहनने पर
(ख) लड़ाई करने पर
(ग) लड़ने से
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क) चश्मा पहनने पर
iii. लेखिका निम्नलिखित में से किस चीज को अपने सिर पर रखा?
(क) छोटे भाई का टोपा
(ख) बड़ी बहन का शॉल
(ग) मां का दुपट्टा
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (क) छोटे भाई का टोपा
iv. लेखिका इन दिनों निम्नलिखित में से कहां की टोपी पहनना पसंद करती हैं?
(क) शिमला
(ख) दिल्ली
(ग) बंगाल
(घ) कश्मीरी
उत्तर: (क) शिमला
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