साँस-साँस में बाँस -सारांश
यह निबंध एलेक्स एम. जॉर्ज द्वारा लिखा गया है और इसमें बाँस के उपयोग, इसके महत्व और निर्माण की प्रक्रिया पर गहराई से चर्चा की गई है। बाँस, विशेष रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में, विभिन्न समुदायों की संस्कृति, जीवनशैली और आर्थिक गतिविधियों का एक अभिन्न हिस्सा है।
बाँस का महत्व
संसाधन का स्रोत:
- बाँस भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में बहुतायत (बहुत अधिक) में पाया जाता है। यहाँ के स्थानीय समुदायों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। बाँस का उपयोग सिर्फ निर्माण के लिए नहीं, बल्कि भोजन, ईंधन और अन्य दैनिक जरूरतों के लिए भी किया जाता है।
विविधता में उपयोग:
- बाँस का प्रयोग कई प्रकार की वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है, जैसे:
- टोकरियाँ: बाँस से बनी टोकरियाँ स्थानीय बाजारों में सामान ले जाने के लिए इस्तेमाल होती हैं।
- चटाइयाँ और फर्नीचर: बाँस की चटाइयाँ और फर्नीचर टिकाऊ और किफायती होते हैं, जो घरों को सजाने का काम करते हैं।
- सजावटी सामान: विभिन्न प्रकार के सजावटी आइटम, जैसे कि दीवारों पर लटकाने के लिए वस्तुएँ।
- खिलौने: बच्चों के लिए बाँस से बने खिलौने स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
असम में बाँस का विशेष उपयोग
असम में, बाँस का विशेष महत्व है, खासकर मछली पकड़ने के लिए। यहाँ बाँस से बने जाल (जकाई) का प्रयोग किया जाता है, जो शंकु (खूँटी) आकार में बनाए जाते हैं। यह क्षेत्रीय परंपराओं का एक हिस्सा है, और इसका उपयोग मछलियों को पकड़ने के लिए विशेष रूप से किया जाता है।
मौसम और काम
जलवायु का प्रभाव:
- उत्तर-पूर्वी भारत में जुलाई से अक्टूबर तक भारी बारिश होती है। इस अवधि में कृषि कार्य कम हो जाते हैं, जिससे स्थानीय लोग इस समय का उपयोग बाँस इकट्ठा करने में करते हैं।
उम्र के अनुसार चयन:
- बाँस की उम्र भी उसकी उपयोगिता में महत्वपूर्ण होती है। एक से तीन साल की उम्र वाला बाँस सामान बनाने के लिए चुना जाता है, जबकि बूढ़ा बाँस, जो सख्त होता है, जल्दी टूट जाता है और उसे उपयोग में नहीं लाया जाता।
निर्माण प्रक्रिया
बाँस को तैयार करना:
- पहले बाँस की शाखाएँ और पत्तियाँ हटा दी जाती हैं।
- फिर, दाओ नामक चौड़े चाकू से बाँस को छीलकर खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। यह प्रक्रिया काफी तकनीकी होती है, क्योंकि खपच्चियों की लंबाई और चौड़ाई को सही ढंग से काटना आवश्यक है।
चिकनाई और रंगाई:
- खपच्चियों को चिकना करने के लिए दाओ और घिसाई का उपयोग किया जाता है।
- रंगाई के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है, जैसे गुड़हल और इमली की पत्तियाँ। काले रंग के लिए आम की छाल में लपेटकर मिट्टी में दबाया जाता है, जिससे एक सुंदर और टिकाऊ रंग मिलता है।
बुनाई की कला:
- बाँस की बुनाई एक कला है, जिसमें विभिन्न डिज़ाइन बनाए जाते हैं। बुनाई की प्रक्रिया में चेक डिज़ाइन और अन्य पैटर्न शामिल होते हैं।
- टोकरी के सिरे को मोड़कर नीचे की ओर फँसाने की प्रक्रिया भी एक कुशलता की मांग करती है, जिससे एक मजबूत और आकर्षक उत्पाद तैयार होता है।
निष्कर्ष
यह निबंध केवल बाँस के उपयोग और उसकी निर्माण प्रक्रिया का विवरण नहीं देता, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बाँस कैसे स्थानीय संस्कृति, कला, और जीवनशैली का हिस्सा है। बाँस का महत्व केवल उसकी भौतिक उपयोगिता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
कठिन शब्दों के अर्थ
- करतब – करामात
- दफ़नाए – मुर्दे को ज़मीन में गाड़ने का काम
- बहुतायत – बहुत अधिक
- चलन – रिवाज
- प्रचलन – चलन
- तरकीब – तरीका
- शंकु – खूँटी
- ईंधन – जलाने का सामान
- पालना – झूला
- मसलन – उदाहरण के लिए
- गठान – गाँठ
- हुनर – कलाकारी
- तर्जनी – अँगूठे के पास की अँगुली
- दौरान – बीच
- प्रक्रिया – तरीका
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